Header 300×250 Mobile

जदयू के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष बने ललन सिंह, रेस से बाहर रहे उपेन्द्र कुशवाहा

नई दिल्ली में हुई जदयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में लिया गया निर्णय

- Sponsored -

794

- sponsored -

- Sponsored -

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार व संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने दी बधाई

पटना (voice4bihar news) । जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह के नाम की घोषणा के साथ ही इस पद को लेकर चल रही कयासबाजी खत्म हो गयी। इस पद की रेस में जदयू संसदीय दल के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा को भी शामिल माना जा रहा था। कयास लगाये जा रहे थे कि उपेंद्र कुशवाहा को राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद सौंपकर लव – कुश समीकरण साधने की कोशिश होगी, लेकिन ललन सिंह को पार्टी की बागडोर थमाकर नीतीश कुमार ने नए समीकरण को तवज्जो दी। ललन सिंह जदयू के कद्दावर नेता होने के साथ ही नीतीश कुमार के विश्वस्त माने जाते हैं।

आरसीपी सिंह ने रखा ललन सिंह के नाम का प्रस्ताव

नई दिल्ली में हुई पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में ललन सिंह को राष्ट्रीय अध्यक्ष पद सौंपने का फैसला लिया गया। नए अध्यक्ष के चयन से पूर्व ही वर्तमान अध्यक्ष आरसीपी सिंह ने पद से इस्तीफा दे दिया। वे अब केंद्रीय इस्पात मंत्री के रूप में नई जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में वर्तमान राष्ट्रीय अध्यक्ष व केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह ने ही राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह के नाम का प्रस्ताव रखा। इस प्रस्ताव को सर्वसम्मति से मान लिया गया।

नीतीश कुमार ने एक साथ कई निशाने साधे

दूसरी ओर जदयू के इस कदम को लेकर राजनीतिक हलकों में चर्चाएं तेज हो गयी है। माना जा रहा है कि ललन सिंह को पार्टी की कमान सौंप कर नीतीश कुमार ने एक साथ कई निशाने साधे हैं। राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह फिलहाल मुंगेर से सांसद हैं । उनके पास प्रदेश अध्यक्ष होने का भी अनुभव है । पार्टी में उनकी पकड़ मजबूत है। केंद्र में मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में आरसीपी सिंह के साथ ललन सिंह को भी मंत्री बनाए जाने का दबाव जदयू ने डाला था, लेकिन बात नहीं बनी तो जदयू ने केंद्र सरकार से बाहर रहना ही बेहतर समझा।

विज्ञापन

सियासी – सामाजिक व जातिगत समीकरण को दिया तवज्जो

बाद में मंत्रिमंडल विस्तार होने पर आरसीपी सिंह को केंद्रीय कैबिनेट में जगह मिल गयी , लेकिन ललन सिंह संसदीय बोर्ड के सदस्य के तौर पर काम करते रहे । उपेंद्र कुशवाहा भी इसी संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष हैं। अब राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा होने लगी कि नीतीश कुमार राजनीतिक – सामाजिक – जातिगत समीकरण को बैलेंस करने के साथ – साथ पार्टी के सर्वोच्च पद पर अपने विश्वस्त को ही बैठाना चाहते थे। यही कारण है कि ललन सिंह पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष की रेस में सबसे आगे थे।

जदयू के शीर्ष पद पर पहली बार किसी सवर्ण की इंट्री

जातीय समीकरण की बात करें तो ललन सिंह सवर्ण ( भूमिहार ) जाति के प्रभावशाली नेताओं में गिने जाते हैं । इनकी ताजपोशी के साथ ही जदयू के शीर्ष पद पर सवर्ण की इंट्री हुई है। इससे पहले यह पद नीतीश कुमार , शरद यादव व आरसीपी सिंह संभाल चुके हैं। तीनों ही पिछड़ी जाति ( कुर्मी ) से हैं। जदयू में किसी सवर्ण नेता को पहली बार पार्टी का सर्वोच्च पद मिला है। इसके साथ ही जदयू पर लगने वाले उन आरोपों का भी जवाब मिल गया है, जिसमें को लव – कुश समीकरण तक सीमित बताया जाता था।

फिलहाल पार्टी के महत्वपूर्ण पदों पर उपेंद्र कुशवाहा व उमेश कुशवाहा को बरकरार रखते हुए पार्टी के कद्दावर नेता ललन सिंह को नयी जिम्मेदारी सौंपी गयी है। दूसरी ओर जदयू के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष को बधाइयों का तांता लगा हुआ है। इसमें सबसे पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ही बधाई दी। इसके बाद उपेंद्र कुशवाहा ने ट्वीट कर ललन सिंह को बधाई दी। उन्होंने उम्मीद जताई कि पार्टी के पुराने साथी ललन सिंह के नेतृत्व में जदयू जल्द ही नई ऊंचाइयों को छुएगा।

- Sponsored -

- Sponsored -

- Sponsored -

- Sponsored