Header 300×250 Mobile

सजा पूरी होने के 2 साल बाद भी जेल में दिन काट रही बुजुर्ग

महिला भारत-बांग्लादेश सीमा पर पकड़ी गयी थी नेपाल की जन्नत खातून

- Sponsored -

635

- Sponsored -

- sponsored -

बांग्लादेश से अवैध घुसपैठ के आरोप में हुई थी 2 वर्ष की सजा

नेपाल से राजेश कुमार शर्मा की रिपोर्ट

Voice4bihar News. वर्ष 2018 से असम के एक जेल में बंद नेपाल के मोश प्रदेश के सर्लाही जिले की 62 वर्षीय जन्नत खातून लहेरी अपनी रिहाई की आस देख रही है। तकनीकी रूप से कागजी कार्रवाई पूरी नहीं होने के कारण बुजुर्ग महिला आज अपनों से दूर रहने को विवश है। बताया जाता है कि जेल में उसने अपनी सजा दो वर्ष पहले ही पूरी कर ली थी, लेकिन नेपाल सरकार की ओर से आधिकारिक पत्र नहीं होने के कारण कानूनी अड़चन बरकरार है। लिहाजा बीते चार वर्ष से वह कैदी का जीवन व्यतीत कर रही है।

पुत्री के घर निकली थी पहुंच गयीं भारत बांग्लादेश सीमा

जन्नत खातून लहेरी के परिजनों ने बताया कि करीब चार वर्ष पूर्व सर्लाही जिले के सिरहा में रहने वाली अपनी पुत्री के घर जाने के लिए निकली थी। इस दौरान पुत्री के घर जाने की बजाय भटकती हुई भारत- बांग्लादेश सीमा पहुंच गई। इनके पुत्रों का कहना है कि दुर्घटना के कारण सिर में चोट लगने से जन्नत खातून मानसिक रूप से विक्षिप्त हो गयी थी। घर से निकली बुजुर्ग जब अपनी पुत्री के घर नहीं पहुंची तो परिवार के लोग बेचैन हो गये। काफी खोजबीन के बाद भी महिला का सुराग नहीं मिला तो सबने उन्हें मृत मान लिया।

विज्ञापन

जेल प्रशासन को दिल्ली दूतावास के पत्र का इंतजार

इधर, दो महीने पूर्व (दिसंबर 2022 ) में असम से फोन आया कि जन्नत खातून लहेरी असम के सिल्चर जेल में बंद है। जन्नत की रिहाई के लिए इनके पुत्र फिरोज लेहरी व दामाद मोहम्मद अनबर बीते दिनों सिल्चर जेल गए थे, जहां जन्नत का नागरिकता प्रमाण पत्र, वार्ड कार्यालय की सिफारिस व नेपाल पुलिस का पत्र दिखाया था, लेकिन जेलर ने सभी प्रमाणों की जांच के बाद जन्नत की रिहाई से यह कहते हुए इनकार कर दिया कि नेपाल सरकार का आधिकारिक पत्र मिलने पर ही रिहाई होगी। इस जवाब के बाद जन्नत कक परिवार में निराशा छा गयी।

बांग्लादेशी होने की आशंका में वर्ष 2018 में बीएसएफ ने की थी गिरफ्तारी

वर्ष 2018 के नवम्बर में बांग्लादेशी नागरिक होने की आशंका में भारत-बांग्लादेश बॉर्डर क्षेत्र के समीप असम के कछार जिला से जन्नत को भारतीय सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) ने हिरासत में लिया था। विक्षिप्त हाल में मिली जन्नत खातून अपना पूरा परिचय नहीं बता पा रही थी, लिहाजा इस मामले में असम के सिल्चर स्थित जिला अदालत ने बांग्लादेश से आने की आशंका पर दो वर्ष कैद व एक हजार रुपये जुर्माना की सजा सुनाई थी। जुर्माना की राशि नहीं देने की स्थिति में एक महीने अतिरिक्त सजा भुगतने का आदेश कोर्ट ने दिया था।

क्या कहते हैं नेपाली महावाणिज्य दूत

इस संबंध में पूछे जाने पर कोलकाता स्थित नेपाली महावाणिज्य दूत ईश्वरराज पौडेल ने दूरभाष पर बताया कि नेपाली होने का प्रमाण पेश नहीं कर पाने की वजह से ऐसी समस्या सामने आई है। उन्होंने दिल्ली स्थित नेपाल दूतावास में इसकी जानकारी दी है। सिल्वर के एसपी से भी फोन पर बात हुई है। महावाणिज्य दूत पौडेल ने कहा कि दिल्ली स्थित नेपाली दूतावास के आदेश के इंतजार में रिहाई में समस्या आयी हैं। उन्होंने कहा कि यह सत्य है कि अदालत के फैसले के अनुसार जन्नत खातून की रिहाई वर्ष 2020 में ही होनी थी, लेकिन उम्मीद है कि तकनीकी अड़चनों जल्द ही दूर हो जाएंगी।

- Sponsored -

- Sponsored -

- Sponsored -

- Sponsored