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कैबिनेट विस्तार : जमा खान और सुमित सिंह की निकली लॉटरी

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Voice4bihar desk. इस बार के कैबिनेट (cbinet) विस्तार में सपा के टिकट पर चुनाव जीते जमा खान और निर्दलीय चुने गये सुमित कुमार सिंह की लॉटरी निकल गयी। सुमित कुमार चकाई विधानसभा से दुबारा विधायक चुने गये हैं। इसके पहले 2010 में वे झारखंड मुक्ति मोर्चा के टिकट पर चुनाव जीते थे। पर 2015 में महागठबंधन की प्रत्याशी सावित्री देवी ने उन्हें हरा दिया था। बाद में वे जदयू में चले गये। 2020 के विधानसभा चुनाव में सुमित को जदयू ने टिकट नहीं दिया तो वे निर्दलीय ही मैदान में कूद पड़े। क्षेत्र की जनता ने उन पर विश्वास किया और विधानसभा भेजा। सुमित ने चुनाव परिणाम की घोषणा होते ही एनडीए को बिना शर्त समर्थन देने की घोषणा की। आज उन्हें इसका फल मिला और नीतीश मंत्रिमंडल में जगह मिली। उन्हें विज्ञान एवं प्रोद्योगिकी मंत्री बनाया गया है।

कैमूर के चैनपुर की जनता ने जमा खान को बसपा के टिकट पर चुनकर विधानसभा भेजा। पर, जमा खान हाल में जदयू में शामिल हो गये। जमा बसपा के एकमात्र विधायक थे। उनके जदयू में जाने के बाद विधानसभा में बसपा का कोई नामलेवा नहीं रह गया। बिहार विधानसभा में बसपा का नामोनिशान मिटाने का जमा खान को तत्काल फल मिला और उन्हें मंत्री पद से नवाजा गया। नीतीश मंत्रिमंडल में जमा खान शाहनवाज हुसैन के साथ दूसरे मंत्री हैं जो अल्पसंख्यक समुदाय से आते हैं। जमा खान को अल्पसंख्यक कल्याण मंत्रालय दिया गया है।

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जनक राम नीतीश मंत्रिमंडल में अशोक चौधरी के बाद दूसरे मंत्री हैं जो बिहार विधामंडल के किसी सदन के सदस्य नहीं हैं। जनक राम 2014 में गोपालगंज से भाजपा के सांसद चुने गये थे। 2019 के चुनाव में गोपालगंज सीट जदयू के कोटे में चला गया जिससे वे बेटिकट हो गये। इसके बाद भी पार्टी के प्रति उनकी निष्ठा में कोई कमी नहीं आयी जिसका उन्हें आज फल मिला। उन्हें खान एवं भूतत्व मंत्रालय का भार दिया गया है।

बांका की अमरपुर सीट से जीते जयंत राज नीतीश मंत्रिमंडल में सबसे कम उम्र के मंत्री है। उनकी उम्र महज 33 साल है। जयंत को ग्रामीण कार्य मंत्रालय सौंपा गया है। अमरपुर सीट जदयू के कोटे में जाने के बाद वहां से भाजपा के दावेदार मृणाल शेखर ने बगावत कर दी और चिराग पासवान की पार्टी लोजपा के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे। इससे मुकाबला कड़ा हो गया। इसके बाद भी जयंत चुनाव जीतने में सफल रहे।

गोपालगंज के भोरे से जदयू के टिकट पर जीते पूर्व आईपीएस अधिकारी सुनील कुमार पहली बार विधायक बने हैं। बिहार पुलिस के एडीजी के पद से रिटायर हुए सुनील कुमार पटना के एसएसपी भी रह चुके हैं। हालांकि इस बार एक और आईपीएस अधिकारी रहे गुप्तेशर पांडेय की वर्दी उतारकर राजनीतिक झंडा थामने की ख्वाहिश थी पर यह अधूरी रह गयी। ऐन चुनाव के वक्त उन्होंने पांच माह शेष बची नौकरी से इस्तीफा दे दिया पर उन्हें माया मिली न राम। जदयू ने उन्हें टिकट नहीं दिया। इस मामले में सुनील भागयशाली रहे। सेवानिवृत्त होने के बाद जदयू के टिकट पर न केवल विधानसभा पहुंचे बल्कि मंत्री भी बने। उन्हें बिहार में शराबबंदी के दौर में उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग का मंत्री बनाया गया है। अब देखना है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के मद्य निषेध बिहार के सपने को वे कहां तक पहुंचाते हैं।

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