कूड़े के बीच अहाते में फेंका पाया गया राष्ट्रीय प्रतीक अशोक स्तंभ
काव नदी पुल के समीप एक अहाते में अशोक स्तंभ को कूड़े के बीच पड़ा मिला
- प्रतीकात्मक अशोक स्तंभ 26 जनवरी को रात में शहर के तेदूनी चौक से हटाया गया था
- राष्ट्रीय प्रतीक के अपमान से बिक्रमगंज की मर्यादा हुई धूमिल, जनता का आक्रोश चरम पर
बिक्रमगंज (voice4bihar desk)। कूड़े के बीच अहाते में फेंके गए अशोक स्तंभ देख लोगों में गुस्सा भर आया। रोहतास जिले के बिक्रमगंज अनुमंडल मुख्यालय में राष्ट्रीय प्रतीक चिह्न अशोक स्तंभ का विवाद थमता नजर नहीं आ रहा है। ऐन गणतंत्र दिवस की रात में राष्ट्रीय प्रतीक को शहर के तेंदूनी चौराहे से हटाये जाने के बाद से लेकर जारी आक्रोश बुधवार को सातवें आसमान पर जा पहुंचा। नतीजा नगर परिषद को सफाई देने के लिए मीडिया के सामने आना पड़ा।
दरअसल बिक्रमगंज शहर के तेंदूनी चौक से हटाए गए अशोक स्तंभ को एक अहाते में कूड़े के बीच पड़ा पाया गया । इसकी तस्वीरें व वीडियो बुधवार को सोशल मीडिया पर तैरता हुआ देख शहरवासी सहित देशभक्त आश्चर्य में पड़ गए । स्थिति की हकीकत से अवगत होने के लिए स्थानीय मीडिया कर्मी उक्त स्थान की तलाश में जुट गए । अंततः दोपहर तक उस अहाते को मीडिया कर्मियों ने ढूंढ निकाला, जहां अशोक स्तंभ को कूड़े के बीच फेंका गया था। अब तक प्रकरण में कठघरे में खड़ा नगर परिषद प्रशासन आज अपनी बचपना हरकत पर खेद प्रकट करने लगा ।
शहर के आरा – सासाराम मुख्य पथ पर काव नदी पुल के समीप एक अहाते में अशोक स्तंभ को कूड़े के बीच पड़ा होने की सूचना शहर समेत पूरे जिले व राज्य में जंगल के आग की तरह फैल गई । परंतु जिम्मेदार अधिकारी इस घटना से अनभिज्ञता जाहिर करते रहे। साथ ही स्तंभ लगाने व हटाने वाले संवेदक सहित अन्य कर्मियों पर ठीकरा फोड़ते रहे । नगर परिषद की इस कार्यशैली से न सिर्फ बिक्रमगंज की मर्यादा तार – तार हुई है बल्कि राष्ट्र के प्रतीक का भी अपमान हुआ । जिसके संदर्भ में कई तरह की अटकलें लगाई जा रही है।
चौक पर लगाने के तीन दिन बाद ही रातोंरात हटाया गया अशोक स्तंभ
बताते चलें कि शहर के सौंदर्यीकरण के अंतर्गत शहर के तेंदूनी चौक पर विगत 23 जनवरी को नगर परिषद ने अशोक स्तंभ का प्रतीकात्मक पिलर स्थापित कराया था । जिसके उद्घाटन की तिथि 26 जनवरी यानि गणतंत्र दिवस के दिन निर्धारित की गई थी । परंतु संवैधानिक अड़चन आने के कारण 26 जनवरी को ही रात्रि में चौक से अशोक स्तंभ को नगर प्रशासन ने हटवा लिया । जिसके बाद से इस घटना पर शहरवासियों सहित भारतीय संविधान में विश्वास रखने वाले लोगों के बीच चर्चाएं प्रारंभ कर दी गई।

प्रतिमा को फिर से लगाने के लिए चल रहा आंदोलन
समाज का एक बड़ा तबका इस घटना को राष्ट्रीय प्रतीक के अपमान के तौर पर देख रहा है। तेंदूनी चौक पर पुनः अशोक स्तंभ स्थापित करने के लिए लगातार प्रदर्शन व सभाएं हो रहीं थीं। इस बीच 2 दिन पूर्व मौर्य शक्ति संगठन ने एक दिवसीय धरना प्रदर्शन का भी आयोजन किया था । स्तंभ को तेंदूनी चौक पर पुनः स्थापन को लेकर अभी आंदोलन चल ही रहा था कि शहर के एक अहाते में कूड़े के बीच पड़े अशोक स्तंभ ने लोगों के आक्रोश को हवा दे दी।
सोशल मीडिया पर वायरल हुईं तस्वीरें व वीडियो
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कूड़े के बीच पड़े अशोक स्तंभ की तस्वीरें व वीडियो 17 फरवरी को सोशल मीडिया पर वायरल होने के उपरांत नगर परिषद सहित अन्य अधिकारी जवाब देने पर विवश नजर आये। दरअसल 23 जनवरी को चौक पर स्थापित करने व 26 जनवरी की रात हटाने के मामले में स्थानीय प्रशासन पर नगर परिषद खुद कठघरे में है। उस वक्त सवाल उठा कि आखिर कहां गया अशोक स्तंभ?
तब प्रशासन ने कहा कि संवैधानिक बाध्यता के चलते संवेदक ने सम्मानपूर्वक हटाकर प्रतीक चिन्ह को एक सुरक्षित स्थान पर रख दिया है । लेकिन उसी प्रतीक चिह्न को विक्रमगंज के वार्ड संख्या 22 में एक कचरे के ढेर में फेंके जाने का दावा करते हुए सोशल मीडिया पर वीडियो व तस्वीरें वायरल होने लगी ।
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मामले ने तूल पकड़ा तो नगर परिषद ने दी सफाई, कहा-नहीं मिला कोई साक्ष्य
सोशल मीडिया की यह खबर नगर परिषद की कार्यपालक पदाधिकारी प्रेम स्वरूपम व नप सभापति रब नवाज खान तक पहुंची तो उन्होंने अनुमंडल के वरीय अधिकारियों को अवगत कराया। 17 फरवरी को अहले सुबह सोशल मीडिया के दावे की पड़ताल में वार्ड संख्या 22 के निरीक्षण में जुट गए । अधिकारियों के मुताबिक जांच में पाया गया कि सोशल गीडिया के माध्यम से वायरल कचरे के ढेर में रखा प्रतीक चिन्ह शहर के वार्ड संख्या 22 के किसी क्षेत्र में नहीं है । जांचोपरांत आपत्तिजनक कोई साक्ष्य प्राप्त नहीं हो सके है ।

कार्यपालक पदाधिकारी प्रेम स्वरूपम व नप सभापति रब नवाज खान का कहना है कि अहले सुबह से देर शाम तक इस साक्ष्य को ढूंढ़ने में कमियों सहित खुद लगे रहे लेकिन साक्ष्य नहीं मिला ।अब सवाल यह है कि यदि तेंदूनी चौक से हटाने के बाद स्तंभ को सुरक्षित स्थान पर प्रशासन ने रखवा दिया तो फिर राष्ट्रीय प्रतीक चिन्ह का वीडियो वायरल हुआ कैसे? इसका जवाब भी कार्यपालक पदाधिकारी प्रेम स्वरूपम व नप सभापति रब नवाज खान ने दिया।
उनका कहना है कि सोशल मीडिया पर प्रतीक चिन्ह का वायरल वीडियो व तस्वीरें किसी अन्य जगह की हैं, जिन्हें दिखाकर साजिश के तहत परिषद क्षेत्र सहित अधिकारियों को बदनाम करने की साजिश रची गई है । लगे हाथ उन्होंने अनुमंडल के लोगों से अफवाहों से बचने की अपील भी की।
प्रशासन के दावे की पोल खोलेंगे आंदोलनकारी
इस बीच नगर परिषद की कार्यपालक पदाधिकारी व नप सभापति की ओर से मीडिया से समक्ष दी गयी सफाई को मौर्य शक्ति ने सिरे से खारिज कर दिया। मौर्य शक्ति के राष्ट्रीय अध्यक्ष रवि मौर्य ने वॉयस फॉर बिहार को दूरभाष पर बताया कि बृहस्पतिवार को मीडिया के सामने प्रशासन के दावे की पोल खोली जाएगी। उन्होंने आरोप लगाया कि नगर परिषद व प्रशासन के लोग इस मामले की लीपापोती में लगे हुए हैं।
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