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केंद्रीय कैबिनेट के विस्तार के साथ ही बिहार की राजनीति में भूचाल, राजद-जदयू में भारी उथल-पुथल

जदयू ने मुख्य प्रवक्ता संजय सिंह बनाए गए प्रदेश उपाध्यक्ष तो राजद से जगदानंद सिंह के इस्तीफे की उड़ी खबर

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जदयू नेता उपेंद्र कुशवाहा व ललन सिंह की मुलाकात के बाद सियासत गरमायी

पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह व राजद नेता अब्दुल बारी सिद्दीकी की मुलाकात पर भी नजर

पटना (voice4bihar news)। केंद्रीय कैबिनेट के विस्तार में भले ही बिहार की स्थिति यथावत रही, लेकिन बिहार की राजनीति में भूचाल आ गया। इस उथल-पुथल ने सिर्फ एक दल नहीं बल्कि सभी पार्टियों की अपनी जद में लिया है। शुक्रवार को सूबे की राजनीति में एक साथ कई सनसनीखेज खबरें सामने आईं। बिहार की सबसे बड़ी पार्टी राजद में जहां पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के त्यागपत्र की अटकलें तेज रहीं तो दूसरी ओर सत्ताधारी जदयू ने पार्टी के मुख्य प्रवक्ता के पद से संजय सिंह को को हटाकर प्रदेश उपाध्यक्ष बना दिया।

इसके साथ ही जदयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा और सदस्य ललन सिंह की मुलाकात ने राजनीतिक विशेषज्ञों को हैरत में डाल दिया। वहीं पेरोल पर छुटकर आए पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह के साथ पूर्व मंत्री अब्दुल बारी सिद्दीकी की मुलाकात को लेकर भी अटकलों का बाजार गर्म हो गया। अटकलें इस बात को लेकर भी हैं कि राजद प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी हिलती देख गोलबंदी हो सकती है।

तेजप्रताप यादव के वर्ताव को लेकर नाराज चल रहे जगदानंद!

बात राजद की करें तो पार्टी सुप्रीमो लालू प्रसाद के ज्येष्ठ पुत्र तेजप्रताप यादव के निशाने पर रहे जगदानंद सिंह के इस्तीफे की खबर दिनभर मीडिया में तैरती रही। कहा गया कि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद ने अभी इस्तीफे को मंजूर नहीं किया है, लेकिन इसके साथ ही राजद प्रवक्ता इस खबर का पुरजोर खंडन करते दिखे। गौरतलब है कि पार्टी के सार्वजनिक आयोजनों में कई ऐसे मौके आए हैं, जब तेजप्रताप यादव ने पार्टी के वरिष्ठ नेता व राजद के फाउंडर मेंबर जगदानंद सिंह को असहज कर दिया। ऐसे में जगदानंद सिंह ने इस्तीफे की खबर पर लोगों को भी यकीन हो गया।

मीडिया के सवालों से बचते नजर आए जगदानंद सिंह

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हालांकि इस बारे में जगदानंद सिंह फिलहाल कुछ भी बोलने से बच रहे हैं। प्रदेश अध्यक्ष के त्यागपत्र की खबर आने पर मीडियाकर्मियों की ओर से पूछे गये सवाल पर जगदानंद सिंह बचने नजर आए। इस्तीफा की वजह तेजप्रताप को मानने के सवाल पर उन्होंने कहा कि इस बारे में तेजप्रताप से बात कीजिये। हालांकि जगदानंद ने यह भी कहा कि उसने मुझे चाचा कहा था। चाचा कहने पर हम नाराज क्यों होंगे? जगदानंद सिंह से यह भी पूछा गया कि कहीं ऐसा तो नहीं कि आपके बारे में भ्रामक खबरें चलाई जा रही हैं? इस पर उनका कहना था कि ‘यदि भ्रामक है तो जिसने खबर चलाई उससे सवाल कीजिए।’

“इतना आसान नहीं होता जगदानंद सिंह होना”

शुक्रवार को पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए जगदानंद सिंह ने मजाकिया लहजे में बड़ी बात कह दी। “इतना आसान नहीं है जगदानंद सिंह होना” कहकर उन्होंने माहौल को हल्का करने की कोशिश की, लेकिन इस बात का मर्म शायद हर कोई जानता है। इस बात में राजद के आधार स्तंभ रहे जगदानंद सिंह की बेचैनी भी झलक रही थी। यह सही है कि लालू प्रसाद के अच्छ व बुरे दिनों के साथी रहे जगदानंद ने राजद में वह मुकाम हासिल की है, जो पार्टी के किसी अन्य नेता को नहीं मिली।

लालू के जेल जाने पर पार्टी संभाली, तेजस्वी को सीएम बनाने के लिए की पूरी कोशिश

पिछले विधानसभा चुनाव में तेजस्वी यादव के मंच पर राज्यसभा सांसद मनोज झा के साथ जगदानंद सिंह विराजमान होते थे। इतना ही नहीं जब विगत तीन वर्षों से लालू प्रसाद जेल में थे, तब उन्होंने खुद जगदानंद सिंह को अभिवावक के रूप में पार्टी की कमान संभालने को कहा था। इस फर्ज को उन्होंने बखूबी निभाया। शुक्रवार को जगदानंद सिंह के इस्तीफे की खबरों के बाद पैचअप वर्क भी चला। हालांकि देर शाम तक खुद जगदानंद सिंह ने इसका खंडन कर दिया।

पैचअप नहीं हुआ तो आलोक मेहता को मिल सकती है प्रदेश राजद की कमान!

अटकलें यह भी लगाई गयी कि अगर इस्तीफा प्रकरण में पैचअप नहीं हुआ तो अगला प्रदेश अध्यक्ष कौन होगा। नए प्रदेश अध्यक्ष को लेकर लगाए जा रहे कयासों के बीच सबसे पहला नााम आलोक मेहता का आया। पार्टी के करीबियों का कहना है कि रामचंद्र पूर्वे व जगदानंद सिंह के बाद आलोक मेहता को यह जिम्मेदारी दी जा सकती है। आपको बता दें कि बिहार की राजनीति में आलोक मेहता की बेहतरीन साख है। नेपथ्य में रहकर राजद के मस्तिष्क के तौर पर काम करने वाले लोगों में आलोक मेहता भी शामिल हैं।

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