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भारत-नेपाल के बीच विद्युत ऊर्जा के आदान-प्रदान के लिए जल्द बिछेगी संचरण लाइन

न्यू बुटवल–गोरखपुर अंतर्देशीय विद्युत परियोजना को नेपाल मंत्रिपरिषद की हरी झंडी

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120 किलोमीटर लम्बे विद्युत संचरण लाइन बिछाने पर वर्ष 2019 में बनी थी सहमति

भारत- नेपाल के ऊर्जा सचिव व सहसचिव की संयुक्त बैठक में लिया गया था निर्णय

राजेश कुमार शर्मा की रिपोर्ट

जोगबनी (voice4bihar news)। भारत व नेपाल के बीच विद्युत ऊर्जा के आदान-प्रदान को लेकर प्रस्तावित न्यू बुटवल–गोरखपुर विद्युत संचरण परियोजना को आगे बढ़ाने के लिए हरी झंडी मिल गयी है। नेपाल में मंत्रिपरिषद ने नेपाल विद्युत प्राधिकरण को इस परियोजना में 1 अरब रुपये निवेश की स्वीकृति दी है। विद्युत व्यापार के मकसद से नेपाल के न्यू बुटवल से उत्तर प्रदेश के गोरखपुर तक प्रस्तावित अंतर्देशीय विद्युत संचरण लाइन के निर्माण का रास्ता साफ हो गया है।

ऊर्जा, जलस्रोत व सिचाई मंत्रालय के प्रवक्ता मधु भेटवाल से मिली जानकारी के अनुसार नेपाल विद्युत प्राधिकरण व पावर ग्रिड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड के द्वारा संयुक्त कम्पनी स्थापना कर साझा निवेश में इस अंतरर्देशीय संचरण लाइन बनाने की सहमति होने की बात कही है। वर्ष 2019 के 13 -14 सितम्बर को भारत- नेपाल के ऊर्जा सचिव व सहसचिव के संयुक्त कार्यदल की बैठक में नेपाल की तरफ विद्युत संचरण लाइन बिछाने के लिए नेपाली पक्ष सहमत हुआ था। साथ ही भारत की तरफ एक सौ किलोमीटर प्रसारण लाइन बिछाने की बात कही गयी थी। इसी शर्त पर साझा निवेश में परियोजना तैयार करने पर सहमति हुई थी ।

संचरण लाइन में 6 अरब के अनुमानित लागत का अनुमान

अनुमानित लागत 6 अरब की इस परियोजना के लिए यह भी तय हुआ था कि संयुक्त कम्पनी कुल लागत का 30 प्रतिशत स्वयं पूंजी के रूप में निवेश करेगी, जबकि शेष रकम ऋण के रुप में लेने की सहमति हुई थी। इसके लिए नेपाल को मिलेनियम चैलेंज कॉर्पोरेशन (एमसीसी) अंतर्गत दिए गए 50 अरब रुपये के अनुदान की राशि भी इस विद्युत लाइन के निर्माण व संचालन मोडालिटी में खर्च करने की शर्त है।

मंत्रिपरिषद की मंजूरी लेना नेपाल विद्युत प्राधिकरण की मजबूरी

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नेपाल–भारत के ऊर्जा सचिव स्तरीय बैठक में उक्त अंतरदेशीय विद्युत संचरण लाइन निर्माण के मोडालिटी में सहमति होने के बाद भी परियोजना का काम आगे नहीं बढ़ पाया। क्योंकि नेपाल विद्युत प्राधिकरण की ओर से अपनी हिस्सेदारी के निवेश का प्रस्ताव एक वर्ष से नेपाल मंत्रिपरिषद में लंबित था। उल्लेखनीय है कि नेपाल से विदेश में निवेश नहीं किये जाने के कानून के कारण नेपाल विद्युत प्राधिकरण को मंत्रिपरिषद से स्वीकृति लेनी पड़ी। दूसरी तरफ भारत सरकार के नीति आयोग ने इस परियोजना के संचालन व मोडालिटी की स्वीकृति पहली ही दे दिय है।

नेपाल सरकार ने निर्णय लेने में की देर, दो वर्ष पीछे हुई परियोजना

गौरतलब है कि वर्ष 2019 में ऊर्जा सचिव व सहसचिवस्तरीय कार्यदल ने न्यू बुटवल–गोरखपुर प्रसारण लाइन के संबंध में तीन निर्णय लिये थे। इनमें पहला निर्णय यह था कि भारतीय क्षेत्र में पड़ने वाले सभी प्रसारण लाइन का 25 वर्ष के लिए सम्पूर्ण कैपिसिटी की बुकिंग नेपाल विद्युत प्राधिकरण करेगा।

दूसरा निर्णय यह था कि नेपाल विद्युत प्राधिकरण व भारत सरकार की पावर ग्रिड कार्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड को 50 : 50 प्रतिशत पूंजी निवेश करनी होगी। तीसरा निर्णय था कि दोनों कार्य 6 महीने के अंदर पूरा होगा और परियोजना सम्झौता के तीन वर्ष में परियोजना सम्पन्न कर ली जाएगी। लेकिन नेपाल मंत्रिपरिषद में प्रस्ताव लंबित रहने से दो वर्ष से संचरण लाइन के लिए संयुक्त कम्पनी खोलने की प्रक्रिया लंबित थी।

कुल संचरण लाइन 120 किलोमीटर में 20 किलोमीटर सिर्फ नेपाल में

उक्त परियोजना के 120 किलोमीटर लम्बे प्रसारण लाइन की संरचना में सिर्फ 20 किलोमीटर नेपाल की तरफ है, जबकि शेष भाग भारत में है। वही इस विद्युत परियोजना से निकट भविष्य में नेपाल से विद्युत भारत ले जाने के लिए भी यह प्रसारण लाइन उपयुक्त होने का महत्व नेपाल बखूबी समझता है। इसी लिए नेपाली पक्ष इस परियोजना को प्राथमिकता में रखता आया है।

25 वर्ष के लिए नेपाल विद्युत प्राधिकरण कर चुका है बुक

न्यू बुटवल–गोरखपुर विद्युत लाइन परियोजना को 25 वर्ष के लिए नेपाल विद्युत प्राधिकरण बुक कर चुका है, जिससे संयुक्त कंपनी को बाहरी ऋण के लिए सहजता होगी। इस प्रसारण लाइन से विद्युत आदान-प्रदान करने के लिए प्राधिकरण को सेवा शुल्क देना होगा। 400 केवी क्षमता के इस प्रसारण लाइन से 2 हजार 400 मेगावाट विद्युत का आदान-प्रदान किया जा सकता है। लेकिन लाइन की सुरक्षा व विश्वसनीयता के लिए आधी क्षमता में ही विद्युत् आदान-प्रदान करने की योजना रखी गयी है।

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