Header 300×250 Mobile

अब नेपाल के विमानस्थल पर कब्जे की तैयारी में ड्रैगन

नेपाल में भारत से जुड़े हर पॉइंट को अपने कब्जे में लेने की फिराक में चीन

- Sponsored -

1,037

- sponsored -

- Sponsored -

रक्सौल सीमा से 51 किलोमीटर की दूरी पर बनना है अंतरराष्ट्रीय विमान स्थल

सीमावर्ती इलाकों में नजर रखने की रणनीति पर सूक्ष्म तरीके से कार्य कर रहा ड्रैगन

चीनी कम्पनी सीसीसीसी ने निजगढ़ विमानस्थल का निर्माण कर 35 वर्ष तक संचालन का दिया प्रस्ताव

 

राजेश कुमार शर्मा

अररिया (voice4bihar news)। हाल के वर्षों में भारत व नेपाल के बीच राजनीतिक संबंधों की दूरियों का फायदा उठाकर चीन लगातार दखल बढ़ाता जा रहा है। नेपाल में ड्रैगन की यह दखलअंदाजी कई स्तरों पर जारी है। नेपाल के रास्ते भारत की सीमा तक सड़कें बनाने का मसला हो या भारतीय सीमा से सटे नेपाल में हजारों करोड़ का प्रोजेक्ट, यह भारत के नजरिये से कतई ठीक नहीं है। नेपाल के टेलाकॉम सेक्टर पर दबदबा कायम कर चुके चीन ने बड़ी चालाकी से इस क्षेत्र में चल रहीं बड़ी परियोजनाओं का निर्माण अपने कब्जे में ले लिया है।

इससे आगे बढ़ते हुए चीन ने नेपाल के विमान स्थल के निर्माण सहित रख रखाव के खर्चे निवेश करने का प्रस्ताव नेपाल को दिया है। चीन सरकार के स्वामित्व में रही चाइना कम्युकेशन कंस्ट्रक्शन कम्पनी (सीसीसीसी) ने निजगढ़ अंतरराष्ट्रीय विमानस्थल निर्माण करने का प्रस्ताव नेपाल को दिया है। इसकी गंभीरता को इस बात से समझा जा सकता है कि भारत की रक्सौल सीमा से यह सिर्फ 51 किलोमीटर की दूरी पर है।

चीनी कंपनी सीसीसीसी ने एयरपोर्ट के रनवे, मुख्य संरचना में निर्माण के लिए 4 खरब के निवेश करने के साथ ही निर्माण सम्पन्न करने के बाद इसे 35 वर्ष तक अपने अधीन रखने की शर्त रखी है। 35 वर्ष के बाद विमानस्थल नेपाल को हस्तान्तरण करने का प्रस्ताव है । चीन की इस निर्माण कंपनी ने बेजिंग डाक्सिग इंटरनेशनल एयरपोर्ट के तर्ज पर इपीसीएफ मॉडल पर विमानस्थल निर्माण करने की शर्त रखी है।

यह प्रस्ताव 21 फरवरी को अपनी नेपाली साझेदार कम्पनी के मार्फत राष्ट्रीय योजना आयोग व अर्थ मंत्रालय को दिया है। प्रस्ताव देखकर लगता है कि चीनी कंपनी अपने हिसाब से डिजाइन व निर्माण कार्य के लिए इच्छुक है। इपीसीएफ मॉडल के अन्तर्गत उक्त चीनी कम्पनी इंजीनियरिंग, टेन्डर, निर्माण व स्रोत व्यवस्थापन का काम करेगी।

नेपाल में निजगढ़ विमानस्थल निर्माण का प्रोजेक्ट।
नेपाल में निजगढ़ विमानस्थल निर्माण का प्रोजेक्ट।

पिछले एक साल से इसकी तैयारी में लगी थी चीनी कंपनी

निजगढ़ विमानस्थल निर्माण के लिए निवेशक बोर्ड के बिना तय किये नेपाल इस विमान स्थल को बनाने की तैयारी पिछले एक वर्ष से कर रहा था । निर्माण की रूप रेखा तय किये बगैर ही एक वर्ष बीतने के बाद विमानस्थल निर्माण को आगे बढ़ाने पर मंथन चल रहा है। सूत्रों का दावा है कि चीनी कम्पनी के प्रस्ताव के साथ ही सरकारी अधिकारी भी अनौपचारिक वार्ता को तीव्रता देने की तैयारी में हैं।

विज्ञापन

स्रोत के अनुसार कुछ दिन पूर्व ही नेपाल सरकार के योजना आयोग के साथ चीनी कम्पनी के अधिकारी ने इस सम्बंध में बैठक की थी। प्रस्ताव आने के साथ ही चीनी कम्पनी के साथ लगातार राष्ट्रीय योजना आयोग के साथ चल रही बैठक में कोई ठोस निर्णय नहीं निकला है।

दक्षिण एशिया के हब विमानस्थल के रुप में विकसित करने की योजना

बैठक होने की पुष्टि योजना आयोग के उपाध्यक्ष पुष्प कंडेल ने भी की है। उपाध्यक्ष पुष्प कंडेल के अनुसार चीनी कम्पनी सीसीसीसी ने निजगढ़ अंतरराष्ट्रीय विमानस्थल निर्माण व संचालन को अपने जिम्मे लेने के लिए 35 वर्ष की अवधि मांगी है। निर्माण से लेकर संचालन तक सभी निवेश निर्माण कम्पनी ही करेगी। चीनी कम्पनी ने इस विमान स्थल को दक्षिण एशिया के हब विमानस्थल के रूप में आगे बढ़ाने का प्रस्ताव दिया है। वही इस कम्पनी के नेपाली एजेन्ट पी एन्ड सी होल्डिंग कम्पनी के प्रमुख कार्यकारी अधिकृत प्रसन गुरुग के अनुसार सीसीसीसी निजगढ विमानस्थल में निवेश करने के लिए आतुर दिख रही है।

निर्माण कंपनी में चीनी सरकार का 63.8 प्रतिशत शेयर

सीसीसीसी कम्पनी चीनी सरकार के 63.8 प्रतिशत शेयर में रही कम्पनी है। इसके अध्यक्ष चेन झोग के हस्ताक्षर वाले प्रस्ताव में कम से कम कम्पनी को 35 वर्ष तक विमान स्थल संचालन की शर्त रखी गयी है। कम्पनी के नेपाली एजेन्ट गुरुंग के अनुसार नेपाल सरकार अगर सभी निवेश, डिजाइन तथा संचालन का स्वामित्व कम्पनी को देती है तो बात आगे बढ़ सकती है। योजना आयोग के एक सदस्य की मानें तो उक्त चीनी कम्पनी के प्रस्ताव पर नेपाल सरकार मंथन कर रही है। यह प्रस्ताव ऐसे समय में आया है जिस वक्त योजना आयोग में इस विमान स्थल को सरकार स्वयं बना पाने की स्थिति में खुद संशय में थी।

छह अंतरराष्ट्रीय कम्पनियों को नेपाल ने किया था नजरअंदाज

बीते वर्ष निजगढ़ विमानस्थल निर्माण करने के लिए 6 अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कम्पनी ने प्रस्ताव दिया था, लेकिन इन सभी को नजरअंदाज करते हुए स्विजरलैंड की जुरिच एयरपोर्ट का चयन किया गया था। दो बार समय सीमा बढ़ाने के बाद भी इस कम्पनी ने कोई प्रगति नहीं दिखाई तो बात बिगड़ गयी। तब इसके निर्माण का प्रस्ताव संस्कृति, पर्यटन तथा नागरिक उड्डयन मन्त्रालय को दिया गया था । नेपाल सरकार ने इस प्रस्ताव को सहमति के लिए अर्थ मन्त्रालय को भेजा गया लेकिन हाल तक अर्थ मन्त्रालय इसके लिए तैयार नहीं था।

मंत्रालय की अस्थिरता के बाद चीनी कम्पनी ने किया प्रस्ताव

राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि अर्थ मंत्रालय ने प्रस्ताव को रोका तो चीनी कम्पनी ने इसका फायदा उठाकार निजगढ़ विमानस्थल के निर्माण का प्रस्ताव दे दिया। राजनीतिक विश्लेषक इसे चीन की एक अहम नीति के तहत मान रहे हैं। जानकरों का मानना है कि चीन भारत से जुड़े हर पॉइंट को अपने कब्जे में लेने की फिराक में है। खास कर सीमावर्ती इलाकों में नजर रखने की रणनीति पर सूक्ष्म तरीके से कार्य कर रहा है।

डेढ़ वर्ष पूर्व निवेशकों के सम्मेलन में ख्याति प्राप्त कम्पनी को किया था नजरअंदाज

डेढ वर्ष पूर्व काठमांडू में हुए निवेशक सम्मेलन के क्रम में निजगढ विमानस्थल बनाने का प्रस्ताव किये गए सात कम्पनी में एक विश्वचर्चित कम्पनी को प्राविधिक व वित्तीय रूप में अयोग्य घोषित करते हुए जुरिच का चयन किया गया था । 4 खरब की लागत का अनुमान किये गए इस परियोजना के निर्माण में चाइना स्टेट कन्स्ट्रक्श्न इंजीनियरिंग कम्पनी लिमिटेड, फ्रान्स के भिन्सी ग्रुप, कतार एयरवेज, भारत के जिएमआर ग्रुप,चीन के चाइना एयरपोर्ट कन्स्ट्रक्सन ग्रुप कम्पनी लिमिटेड व नेपाल के म्याट्रिक्स इन्टरप्राइजेज प्रालि के द्वारा निर्माण का प्रस्ताव दिया था।

- Sponsored -

- Sponsored -

- Sponsored -

- Sponsored