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सदर अस्पताल से फरार हुआ कोविड-19 संक्रमित कैदी

रोहतास में अस्पताल से कैदी के भागने का यह दूसरा मामला

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कैदी वार्ड की खिड़की तोड़कर 2013 में भी फरार हुआ था एक कैदी

अभिषेक कुमार के साथ बजरंगी कुमार सुमन की रिपोर्ट

सासाराम (voice4bihar news)। सदर अस्पताल के आइसोलेशन सेंटर से कोविड-19 संक्रमित कैदी फरार हो गया है। कैदी के फरार होने की सूचना के बाद से ही अस्पताल कर्मियों के बीच हड़कंप मचा हुआ है। कोविड-19 संक्रमित फरार कैदी का नाम दीपक यादव है, जो उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले के बड़गौरा का रहने वाला बताया जा रहा है। कोरोना संक्रमित होने पर उसे 4 जून को नासरीगंज थाना की पुलिस ने आइसोलेशन वार्ड में इलाज के लिए भर्ती कराया था।

सासाराम नगर थाना अंतर्गत सदर अस्पताल में दीपक यादव को कड़ी सुरक्षा के बीच रखा गया था। उसे आइसोलेशन वार्ड के कमरा नंबर-7 में भर्ती किया गया था। सुरक्षा कर्मियों के रहने के बावजूद वह लोहे का ग्रिल तोड़कर खिड़की से भाग खड़ा हुआ। सिविल सर्जन डॉ. सुधीर कुमार ने बताया कि इसकी सूचना संबंधित पुलिस अधिकारी को दे दी गई है। इस सम्बन्ध में जांच की जा रही है।

ग्रिल तोड़कर फरार होने का इतिहास है पुराना

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सदर अस्पताल से इलाज के दौरान कैदी भागने का मामला कोई नया नहीं है। इसके पहले वर्ष 2013 में उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर अंतर्गत टाटा गांवम निवासी सत्येंद्र सिंह चौहान भी ग्रिल तोड़कर 2 मई 2013 को भाग निकला था, जिसे अपेंडिक्स के इलाज के लिए 10 अप्रैल 2013 को सदर अस्पताल के कैदी वार्ड में भर्ती कराया गया था।

कैदियों की सुरक्षा व्यवस्था पर उठ रहे सवाल

सदर अस्पताल से बंदियों के फरार होने की घटना संबंधी सूचना की जानकारी बंदी वार्ड में प्रदर्शित नहीं होने के कारण ऐसी घटनाओं की आवृति हो रही है। इसके अलावा बंदी वार्ड सहित अस्पताल प्रशासन के नव पदस्थापित अधिकारियों और कर्मचारियों को मामले की जानकारी नहीं होने के कारण सुरक्षा व्यवस्था लचर रहती है। कहीं न कहीं इन्ही लापरवाही के कारण घटना की पुनरावृति हुई है। घटना ने अस्पताल प्रबंधन सहित आइसोलेशन सेंटर की सुरक्षा हेतु तैनात सुरक्षाकर्मियों और पुलिस कैंप में प्रतिनियुक्त पुलिस पदाधिकारियों की कार्यशैली पर सवाल खड़ा हो गया ।

दोनों फरार अपराधियों का संबंध उत्तर प्रदेश से

वर्तमान में सदर अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड से फरार बंदी दीपक यादव और वर्ष 2013 में फरार अपराधी सतेंद्र सिंह चौहान दोनों का संबंध उत्तर प्रदेश से है, जो घटना में कॉमन फैक्टर है। फरार अपराधी नगर थाने में वर्ष 2012 में दर्ज अपराधिक मामले में मंडल कारा में बंद था। कुछ दिनों के बाद इस मामले के अनुसंधानकर्ता सब इंस्पेक्टर काली प्रसाद श्रीवास्तव द्वारा सत्येंद्र सिंह चौहान के कानपुर जेल में बंद होने की सूचना पर फरार बंदी को रिमांड पर लेने की कार्रवाई शुरू की गई थी।

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