पटना (Voice4bihar News)। पटना जिले के मसौढ़ी अंचल में डॉग बाबू (Dog babu) का आवासीय प्रमाण पत्र के मामले में जिला प्रशासन ने कड़े तेवर अख्तियार किये हैं। आवासीय प्रमाण पत्र बनवाने वाले आवेदक एवं बनाने वालों अफसरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के साथ ही 24 घंटे के भीतर पूरे मामले की जांच करने का आदेश दिया गया है। इसके बाद दोषी कर्मियों एवं अधिकारियों के विरुद्ध विभागीय एवं अनुशासनात्मक कार्रवाई की बात कही गयी है।
डॉग बाबू (Dog babu) के पिता- कुत्ता बाबू और माता-कुतिया देवी
गौरतलब है कि विगत 24 जुलाई को डॉग बाबू (Dog babu) के नाम पर आवासीय प्रमाण पत्र जारी किया गया है। इसमें आवेदक के पिता का नाम कुत्ता बाबू (kutta babu) और माता का नाम (kutia devi) दर्ज है। राजधानी पटना से करीब 30 किलोमीटर दूर पटना जिले के ही मसौढ़ी अंचल से जारी सर्टिफिकेट में डॉग बाबू (Dog babu) के आवासीय पता के तौर पर मुहल्ला- काउलीचक, वार्ड-15, डाकघर एवं थाना- मसौढ़ी दर्ज है। संभवत: मतदाता सूची में नाम दर्ज कराने या अन्य सरकारी योजनाओं का लाभ लेने के लिए यह प्रमाण पत्र जारी हुआ है।
जिला प्रशासन ने आवासीय प्रमाण पत्र को किया निरस्त
डॉग बाबू नाम से प्रमाण पत्र सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद जिला प्रशासन की नींद खुली। “पटना डिस्ट्रिक्ट एडमिनिस्ट्रेशन” फेसबुक पेज पर इस बात की जानकारी देते हुए लिखा गया है कि “मसौढ़ी अंचल में ‘डॉग बाबू’ के नाम से निवास प्रमाण पत्र निर्गत करने का मामला प्रकाश में आया है। मामला संज्ञान में आते ही उक्त निवास प्रमाण पत्र रद्द कर दिया गया है। साथ ही आवेदक, कंप्यूटर ऑपरेटर एवं प्रमाण पत्र निर्गत करने वाले पदाधिकारी के विरुद्ध स्थानीय थाना में प्राथमिकी दर्ज की जा रही है। अनुमंडल पदाधिकारी, मसौढ़ी को संपूर्ण मामले की विस्तृत जांच कर 24 घंटा के अंदर रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया गया है। दोषी कर्मियों एवं अधिकारियों के विरुद्ध विभागीय एवं अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।”
कुत्ता बाबू और कुतिया देवी के पुत्र ने बनवाया आवासीय प्रमाण पत्र!
आधार वेरिफिकेशन के बाद ही पूरा होता है RTPS पोर्टल पर आवेदन
अमूमन, RTPS पोर्टल पर एक आवासीय या अन्य प्रमाण पत्र बनाने के लिए किसी नागरिक को सबसे पहले ऑनलाइन माध्यम से स्वघोषणा के साथ आवेदन करना पड़ता है। इसके लिए आधार वेरिफिकेशन करना पड़ता है, जो आवेदक के मोबाइल नंबर पर OTP ऑथेंटिकेशन के बाद ही संभव हो पाता है। इसके बाद संबंधित इलाके के राजस्व कर्मचारी अपने स्तर से जांच कर रिपोर्ट करते हैं। तब राजस्व अधिकारी के डिजिटल सिग्नेचर से यह प्रमाण पत्र जारी होता है। अब जांच में ही पता चल पाएगा कि यह चूक कंप्युटरजनित प्रणाली के कारण हुई है अथवा किसी सरकारी बाबू या अफसर के कारण।