पति की हत्या के बाद तनुप्रिया ने परिवार से की बगावत, ससुराल को अपनाया
दरभंगा (Voice4bihar News)। उत्तर बिहार के प्रमुख मेडिकल कॉलेज DMCH की दीवारें बीते मंगलवार को दर्द, चीख, और बेबसी की गवाही बन गई जब एक लड़की के पिता ने खुलेआम उसके पति को गोली मार दी और वह युवक अपनी पत्नी की गोद में तड़प-तड़पकर दम तोड़ दिया। 22 वर्षीय तनुप्रिया की आंखों में अब भी वह मंजर कैद है जब उसके पति राहुल कुमार ने गोली लगने के बाद दम तोड़ने से पहले उसकी तरफ उम्मीद भरी नजरों से दौड़ा था। तनुप्रिया ने मीडिया के सामने रोते बिलखते जो बयान दिया, वो न सिर्फ एक दिल दहला देने वाली प्रेम-कहानी का अंत था, बल्कि हमारे समाज और कानून व्यवस्था पर भी करारा तमाचा था।
एक कहावत है- ‘जाति’ है कि जाती नहीं। संविधान लागू होने के 75 वर्षों बाद भी हमारा समाज उस जीर्ण-शीर्ण व्यवस्था को ढोये जा रहा है, जिसे हमारे संविधान निर्माताओं ने दशकों पहले नकार दिया था। बाद की सरकारों ने भी अंतरजातीय विवाह को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहन राशि देने का इंतजाम किया, लेकिन सामाजिक स्तर पर उस सोच में बदलाव नहीं आया, जिसे हम “जातीय दंभ या अहंकार” कहते हैं। DMCH में हुई छात्र की हत्या के पीछे भी यही विकृत मानसिकता काम कर गयी।
शादी के तीन माह बाद ही सुहाग उजड़ने का चश्मदीद रही तनुप्रिया झा ने मीडिया को बताया कि घटना के समय वह राहुल से फोन पर बात कर रही थी। वे हॉस्टल के नीचे पहुंच ही रहे थे कि काले कपड़े में एक आदमी आया। उसके हाथ में पिस्तौल थी। वह और कोई नहीं, मेरे पिता प्रेम शंकर झा थे। उन्होंने राहुल को गोली मार दी। तनुप्रिया के मुताबिक, यह हत्या पूरी तरह से योजनाबद्ध थी और इसमें तनुप्रिया के भाई सहित परिवार के कई अन्य सदस्य भी शामिल थे।
एक प्रेम कहानी का हुआ ‘खूनी अंत’, एक पल में उजड़ गयी दुनिया
बताया जाता है कि 25 वर्षीय राहुल कुमार, मंडल जाति से थे, जबकि 22 वर्षीय तनुप्रिया ब्राह्मण समाज की। दोनों DMCH में बीएससी नर्सिंग की पढ़ाई कर रहे थे। राहुल सेकेंड ईयर तो तनुप्रिया फर्स्ट ईयर की छात्रा थी। दोनों ने परिजनों की रजामंदी के बिना ही तीन महीने पहले प्रेम विवाह कर लिया था और पढ़ाई जारी थी। बताया जाता है कि राहुल अपनी मां बाप की इकलौती संतान था। उसकी मौत ने पूरे परिवार को तोड़कर रख दिया। क्या यह हत्या एक “ऑनर किलिंग” का उदाहरण है? या जातीय अहम की तुष्टि के लिए की गयी “हॉरर किलिंग” का? सवाल यह भी है कि क्या जाति की दीवारें अब भी प्रेम से बड़ी है? फिर उन संविधानिक अधिकारों का क्या होगा?
दूसरी ओर, तनुप्रिया के सामने पहला सवाल है कि अब कहाँ जाए? मायके में कातिल पिता, भाई व सगे संबंधी और ससुराल में बिना पति के जीवन। क्या वह इस सदमे से कभी उबर पाएगी? इस द्वंद्व के बीच तनुप्रिया ने अपने ससुराल को अपनाने का फैसला किया और उसी रात DMCH से शव पोस्टमार्टम के बाद राहुल की लाश के साथ सुपौल के पिपरा थाना अंतर्गत उनके गांव तुलापट्टी चली गयी, जहां राहुल को अंतिम संस्कार किया गया। अब चारों तरफ चर्चा यही है कि यह केवल एक हत्या नहीं थी, बल्कि प्रेम, व्यवस्था, जाति और भरोसा इन सभी का एक साथ खून हुआ है।
सिस्टम पर भी उठ रहे कई सवाल
सवाल उस सिस्टम पर भी उठा, जो समय रहते नवयुगल पर आने वाले खतरे को रोक नहीं सका। राहुल व तनु को इसका अंदेशा पहले से ही था। दोनों ने खतरे की आशंका के चलते पहले ही सुपौल कोर्ट में एक सनहा दर्ज कराया था, लेकिन सब बेकार। राहुल की हत्या के बाद यह खौफ यहां पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं पर भी दिखा। डीएमसीएच नर्सिंग कॉलेज के 90 प्रतिशत छात्र-छात्राएं हॉस्टल छोड़कर भाग गए। डर सिर्फ हत्या का नहीं है, बल्कि पुलिसिया कार्रवाई का भी है। आशंका थी कि घटना के बाद जो बवाल हुआ, और आरोपी की पिटाई की गई उसमें पुलिस छात्रों पर भी प्राथमिकी कर सकती है।
इस घटना के बाद सिर्फ छात्र ही नहीं, अब मरीज भी डीएमसीएच आने से कतराने लगे है। घटना वाली शाम कई घंटों तक इमरजेंसी सेवा ठप रही, जिससे अस्पताल की छवि पर गहरा असर पड़ा है। वहीं, राहुल की दिनदहाड़े हत्या यह बताती है कि डीएमसीएच की सुरक्षा व्यवस्था नाममात्र की है। बिना किसी जांच के कोई भी बाहरी व्यक्ति परिसर में घुस सकता है। छात्रों ने पहले भी सुरक्षा की मांग की थी, लेकिन उसे शायद गंभीरता से नहीं लिया गया।
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राहुल की हत्या में DMCH के अंदर मौजूद खबरी का हाथ होने का शक
इस घटना से सबसे बड़ा सवाल ये खड़ा हो रहा है कि 45 वर्षीय आरोपी प्रेम शंकर झा जो के सहरसा जिला के बनगांव का निवासी है, उसको यह कैसे पता चला कि राहुल किस वक्त, कहां होगा? क्या DMCH परिसर में कोई उसका मददगार था? पुलिस अगर आरोपी का मोबाइल कॉल डिटेल जांचे तो इन सवालों के जवाब मिल सकते है। सूत्रों की मानें तो हत्यारोपी के कुछ रिश्तेदार ऊंचे प्रशासनिक पदों पर तैनात हैं। फिलहाल ताजा जानकारी के अनुसार आरोपी का पटना पीएमसीएच में पुलिस अभिरक्षा के बीच इलाज जारी है, और पुलिस की मानें तो अब वह खतरे से बाहर है।
DMCH हत्याकांड ने पकड़ा तूल, नर्सिंग के 250 छात्रों पर भी केस दर्ज
बीएससी नर्सिंग सेकेंड ईयर के छात्र राहुल कुमार की हत्या के बाद जब पुलिस कार्रवाई की बारी आई तो हत्यारोपी के साथ ही नर्सिंग के 250 छात्रों पर भी केस दर्ज करा दिया गया। इस बहुचर्चित मामले में अब तक दो प्राथमिकी दर्ज की जा चुकी है। पहली प्राथमिकी संख्या 13325 मृतक छात्र के पिता के आवेदन पर दर्ज हुई, जिसमें आरोपी राहुल के ससुर प्रेम शंकर झा को हत्या का मुख्य आरोपी बनाया गया है, जबकि परिवार के कई सदस्यों को नामजद किया गया है। वहीं दूसरी प्राथमिकी संख्या 134825 बेंता थाना पुलिस ने दर्ज की है, जिसमें हत्या के बाद आक्रोशित छात्रों द्वारा डीएमसीएच इमरजेंसी में तोड़फोड़ करने, सरकारी कार्य में बाधा पहुंचाने और आरोपी के इलाज में व्यवधान डालने का आरोप लगाते हुए 200 से 250 नर्सिंग छात्रों को नामजद किया गया है।
तनुप्रिया के बयान ने ‘जातिवाद’ की परतें उधेड़ दी
इधर, मृतक छात्र की पत्नी तनुप्रिया लगातार सोशल मीडिया के माध्यम से बयान जारी कर रही है। उन्होंने अपने पिता प्रेम शंकर झा पर राहुल की सरेआम गोली मारकर हत्या करने का आरोप दोहराया है। तनु का कहना है कि यह सब उसकी आंखों के सामने हुआ और इसमें उसके पिता के साथ परिवार के अन्य कई सदस्य भी शामिल थे। तनुप्रिया ने नर्सिंग कॉलेज की प्रिंसिपल गुड़िया रानी का नाम लेते हुए उन पर भी गंभीर आरोप लगाए है।
एक मीडिया संस्थान से बातचीत में तनुप्रिया ने कहा कि नर्सिंग कॉलेज की प्रिंसिपल ‘भूमिहार” जाति से हैं। उन्होंने भी राहुल से विवाह के बाद राहुल के माता-पिता को कॉलेज में बुलाकर अपमानित किया और जातिसूचक गालियों का प्रयोग किया। यहां तक कहा कि अगर मेरी बेटी होती तो हम उसे जान से मार देते। तनु का यह भी आरोप है कि विवाह के बाद से कॉलेज प्रशासन और कुछ सीनियर छात्र उन्हें और राहुल को मानसिक रूप से प्रताड़ित करते थे। उन्होंने कॉलेज प्रशासन की भूमिका पर गंभीर आरोप लगाते हुए मामले में सीबीआई जांच की मांग की है।