पटना (voice4bihar news)। बिहार में विधानसभा का बिगुल बज चुका है लेकिन अब तक प्रशांत किशोर की जनसुराज पार्टी को छोड़कर किसी अन्य प्रमुख पार्टी ने उम्मीदवारों की सूची जारी नहीं की है। NDA और INDIA में सीटों के बंटवारे को लेकर महापेच फंसा हुआ है।
इस बीच NDA में सीट शेयरिंग का फार्मूला फाइनल होने की खबर आ रही है। शुक्रवार को बिहार की राजधानी पटना से लेकर देश की राजधानी दिल्ली तक चली बैठकों के दौर के बीच शुक्रवार की देर रात चिराग पासवान के मान जाने की सूचना मिल रही है। NDA में सीट शेयरिंग का फार्मूला फाइनल हाेने में सबसे बड़ी बाधा चिराग पासवान बनते दिख रहे थे।
NDA में चिराग को 20 से 22 सीटें देने की बात कही जा रही थी पर वे 30-35 से कम पर मानने को तैयार नहीं थे। अब बताया जा रहा है कि उन्हें 29 सीटों पर मना लिया गया है। सूत्र बता रहे हैं कि इस चुनाव में एक बार फिर सीटों के मामले में NDA में सबसे अधिक 101 सीटों के साथ जदयू सबसे बड़ी पार्टी के रूप में मैदान में दिखेगी।
सौ सीटों के साथ भाजपा दूसरे नंबर पर रहेगी। जीतन राम मांझी को सात जबकि उपेंद्र कुशवाहा को 06 सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए कहा गया है। जीतन राम मांझी कम से कम 15 सीटों पर चुनाव लड़ना चाह रहे थे। उनका कहना था कि 15 सीटों पर चुनाव लड़ने से उनकी पार्टी को चुनाव आयोग की मान्यता मिल जाती। वर्तमान में गैर मान्यता प्राप्त पार्टी के रूप में उनका मजाक उड़ाया जाता है।
मांझी का कहना था कि 15 सीटें मिलने से 07-08 सीटों पर उनकी पार्टी जीतेगी तो उन्हें मान्यता प्राप्त पार्टी का दर्जा मिल जाएगा। वर्तमान विधानसभा में उनके चार विधायक हैं। 2020 के विधानसभा चुनाव में गया के इमामगंज से जीतनराम मांझी, बाराचट्टी से ज्योति देवी, टिकारी से अनिल कुमार और जमूई के सिकंदरा से प्रफुल्ल कुमार मांझी चुनाव जीते थे। इस बार गयी की अतरी सीट भी मांझी को दी गयी है। 2020 के चुनाव में अतरी से जदयू की मनोरमा देवी को राजद के अजय यादव ने हरा दिया था। अतरी मांझी का गृह क्षेत्र है। इस आधार पर उन्होनें यहां से अपनी पार्टी के लिए दावेदारी की थी।
यहां बता दें कि 2024 के लोकसभा चुनाव में गया से चुनाव लड़कर जीतनराम मांझी सांसद चुने गए और वर्तमान में केंद्र सरकार में मंत्री हैं। मांझी के सांसद बनने से खाली हुई इमामगंज की सीट पर हुए उपचुनाव में उनकी बहू दीपा मांझी विधायक चुनी गयीं है।
इधर, चिराग पासवान की बात करें तो 2020 के चुनाव में उन्होंने 135 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े किए थे। इनमें से केवल एक सीट बेगूसराय की मटिहानी सीट से उनकी पार्टी के उम्मीदवार राजकुमार सिंह बड़ी मुश्किल से 333 वोट से जीते थे। उन्होंने जदयू के बोगो सिंह को हराया था। हालांकि चुनाव जीतने के बाद राजकुमार सिंह जदयू के साथ हो लिए थे।
चिराग 135 सीटों पर लड़कर भले एक मात्र सीट जीत पाए थे लेकिन उनकी पार्टी के उम्मीदवार सात सीटों कसबा, कदवा, रघुनाथपुर, जगदीशपुर, ब्रह्मपुर, दिनारा और ओबरा में दूसरे स्थान पर रहे थे। यानी चिराग की पार्टी के कारण मांझी की पार्टी को कसबा और मुकेश सहनी की पार्टी को ब्रह्मपुर जबकि जदयू को कदवा, रघुनाथपुर, जगदीशपुर, दिनारा और ओबरा में हार का मुंह देखना पड़ा था। 2020 के विधानसभा चुनाव में मुकेश सहनी की पार्टी VSIP, NDA में थी जबकि इस बार INDIA में है।