पटना (voice4bihar news)। उच्च न्यायालय में हिन्दी में भी रीट और याचिकाएँ दायर की जा सके, इसके लिए बिहार की मंत्री परिषद में एक प्रस्ताव 19 सितम्बर, 2023 को ही पारित किया गया था। किंतु उक्त निर्णय के आलोक में अबतक अधिसूचना निर्गत नहीं हो पायी है, जिसके कारण पटना उच्च न्यायालय में अभी भी हिन्दी में याचिकाकर्ताओं के समक्ष बाधाएँ आ रही हैं। राज्य सरकार को यथा शीघ्र अधिसूचना निर्गत करनी चाहिए।
मंगलवार को बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन में अखिल भारतीय भाषा संरक्षण संगठन, दिल्ली द्वारा आयोजित संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए संगठन के अध्यक्ष समाजसेवी हरपाल सिंह राणा ने प्रदेश शासन से यह मांग की। उन्होंने कहा कि यह आश्चर्य का विषय है कि बिहार में भी हिन्दी के लिए वह काम नहीं हो पा रहा है, जिसकी अपेक्षा की जाती है।
संवाददाताओं से वार्ता करते हुए साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने राणा के विचारों से सहमति जताते हुए कहा कि हिन्दी को राजकीय भाषा घोषित करने वाले देश के पहले राज्य बिहार में भी हिन्दी की उपेक्षा हो, यह दुःख पहुँचाने वाला है। प्रदेश के सभी राजकीय कार्यों के साथ, सभी विश्वविद्यालयों और न्यायपालिकाओं में भी सभी कार्य राजभाषा में होने चाहिए।
उन्होंने मंत्रिपरिषद की बैठक 19 सितम्बर, 2023 को पारित प्रस्ताव संख्या- 34 को पढ़कर सुनाया, जिसमें उल्लेखित है कि – “सी आर-डब्ल्यू जे सी संख्या- 435/ 15 कृष्णा यादव बनाम बिहार राज्य एवं अन्य में 30- o4- 2019 को उच्च न्यायालय, पटना द्वारा पारित न्यायादेश के अनुपालनार्थ मंत्रिमंडल (राजभाषा) सचिवालय की 09-05-1972 की अधिसूचना को इस हद तक संशोधित समझा जाए कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद-226 और 227 के अधीन प्रस्तुत की जाने वाली याचिका तथा कर-निर्देश से संबंधित आवेदन के लिए अंग्रेज़ी या हिन्दी का प्रयोग किया जा सकता है।”
हिन्दी के लिए न्यायालयों में आंदोलनरत अधिवक्ता इंद्रदेव प्रसाद ने कहा कि मंत्रिपरिषद के उक्त निर्णय की अधिसूचना निर्गत नहीं होने से पटना उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के बीच भ्रम की स्थिति बनी हुई है। इस कारण हिन्दी की बात कारने वाले अधिवक्ताओं के साथ भेदभाव किया जा रहा है। उच्च न्यायालय के फ़ैसले के आलोक में मंत्रिपरिषद द्वारा लिए गए निर्णय की अधिसूचना कब तक निर्गत होगी?
अखिल भारतीय अधिवक्ता कल्याण समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष धर्मनाथ प्रसाद यादव, अधिवक्ता संघ, पटना उच्च न्यालय के संयुक्त सचिव रणविजय सिंह, डा आलोक कुमार सिन्हा, अधिवक्ता विनोद कुमार, अधिवक्ता मंटू कुमार, अधिवक्ता सुनील कुमार सिंह, अधिवक्ता जितेंद्र कुमार, अधिवक्ता रूपेश कुमार, सम्मेलन के प्रबंधमंत्री कृष्णरंजन सिंह और भवन-अभिरक्षक प्रवीर कुमार पंकज भी संवाद-वार्ता में उपस्थित थे।