भाजपा सांसद निशिकांत दुबे और मनोज तिवारी पर एफआईआर दर्ज

देवघर स्थित बाबा के मंदिर के गर्भगृह में जबरन घुसने का आरोप

देवघर (voice4bihar news)। गोड्‌डा के भाजपा सांसद निशिकांत दुबे शनिवार को दिल्ली से यहां पहुंचने के बाद गिरफ्तारी देने के लिए सीधा बाबा बैद्यनाथ धाम मंदिर थाने पहुंचे। हालांकि थाने में मौजूद पुलिस पदाधिकारी ने भाजपा सांसद को गिरफ्तार करने से इंकार कर दिया। पुलिस पदाधिकारी ने भाजपा सांसद को पानी के लिए पूछा और उन्हें सम्माजनक तरीके से वहां से चले जाने का अनुरोध किया। सांसद ने बताया कि थाने में मौजूद पुलिस पदाधिकारी ने उन्हें बताया कि उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने संबंधी आवेदन कोर्ट में है। कोर्ट से निर्देश मिलते ही वे उसी अनुरूप कार्रवाई करेंगे।

मौके पर भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने बताया कि यह उनके खिलाफ 51वीं एफआईआर है। झारखंड की वर्तमान सरकार उनके खिलाफ लगातार एफआईआर दर्ज कर रही। मैंने तय किया है कि अब आगे से एफआईआर दर्ज होने के बाद वे सीधे अपनी गिरफ्तारी देंगे।

शनिवार को जिस मामले में भाजपा सांसद निशिकांत दुबे अपनी गिरफ्तारी देने बाबा बैद्यनाथ धाम मंदिर थाने पहुंचे थे वह मामला उनके खिलाफ दो अगस्त को दर्ज कराया गया था। इस मामले में गोड्‌डा के भाजपा सांसद निशिकांत दुबे समेत दिल्ली से भाजपा सांसद मनोज तिवारी और तिवारी के सचिव समेत कई लोग ओरोपी बनाये गये हैं। इस मामले में भाजपा के दोनों सांसदों समेत अन्य लोगों के खिलाफ बैद्यनाथ धाम मंदिर के निकास द्वार से जबरन मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश करने का आरोप है।

दरअसल, दिल्ली से भाजपा के सांसद मनोज तिवारी 31 जुलाई को सुल्तानगंज से पवित्र गंगा जल लेकर कांवर यात्रा पर निकले थे। तिवारी 110 किलोमीटर की पैदल यात्रा कर दो अगस्त को जल लेकर बाबा के मंदिर पहुंच गये थे। बाबा मंदिर में गोड्‌डा सांसद निशिकांत दुबे भी मनाेज तिवारी के साथ हो लिए थे। दोनों सांसद उसी वक्त बाबा का दर्शन पूजन कर उन्हें जल अर्पण करना चाह रहे थे पर मंदिर प्रशासन इसकी अनुमति नहीं दे रहा था। इसके बाद दोनों सांसद निकास द्वार से गर्भगृह में जाकर दर्शन पूजन किए थे। इसी मामले में पंडा धर्मरिक्षणी सभा के पूर्व महामंत्री कार्तिकनाथ ठाकुर के बयान पर दो अगस्त को दाेनों भाजपा सांसदों और उनके साथ रहे लोगों पर एफआईआर दर्ज की गयी है।

शनिवार को अपनी गिरफ्तारी देने पहुंचे निशिकांत दूबे ने पंडा धर्मरिक्षणी सभा के पूर्व महामंत्री के बयान पर एफआईआर दर्ज किए जाने पर भी सवाल उठाया। उन्होंने पूछा कि पंडा धर्मरिक्षणी सभा के पूर्व महामंत्री गर्भगृह में क्या कर रहे थे। साथ ही उन्हांने पूछा कि पंडा धर्मरिक्षणी सभा के पूर्व महामंत्री एफआईआर दर्ज कराने वाले होते कौन हैं। अगर हमने किसी पुलिसवाले काे धक्का दिया होगा तो उस पुलिसवाले के बयान अथवा मंदिर में तैनात मजिस्ट्रेट के बयान पर एफआईआर होनी चाहिए।

एफआईआर में लगाये गये धार्मिक भावनाओं के आहत होने के आरोप को लेकर दूबे ने कहा कि जब मंदिर में इरफान अंसारी पूजा करता है यहां के क्रिश्चन एसपी जब मंदिर में पूजा करते हैं तो धार्मिक भावना आहत नहीं होती है। लेकिन, जब एक सनातनी 110 किलाेमीटर दूर पैदल यात्रा कर यहां पहुंचता है और गंगा जल बाबा को अर्पित करता है तो धार्मिक भावना आहत होने लगती है।

भाजपा सांसद ने झारखंड के सीएस और डीजी के खिलाफ दायर किया विशेषाधिकार हनन का मामला

देवघर एयरपोर्ट से सीधे बाबा मंदिर थाने गिरफ़्तारी देने पहुंचे भाजपा सांसद ने कहा कि मैं मंदिर का ट्रस्टी, तीर्थ पुरोहित, देवघर में पैदा हुआ यहां का बेटा । केस करने वाले किस आधार पर गर्भ गृह के अंदर थे, यह जांच का विषय है । 51 केस और कितना, संविधान की धारा 105 के अंतर्गत विशेषाधिकार हनन का केस हमने झारखंड के मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक, देवघर उपायुक्त और पुलिस अधीक्षक पर किया है।

निशिकांत को मिला झारखंड विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल का साथ

झारखंड के प्रथम मुख्यमंत्री और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने इस प्रकरण में अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि नीचता की हद पार करने पर उतारू होकर साज़िश रचने और षड्यंत्र करने में लगे रहने वाले झारखंड पुलिस के कुछ अफ़सरों को याद रखना चाहिए कि वर्दी पहनने का मतलब जनता की रक्षा है, ना कि व्यक्तिगत वैमनस्यता और निजी स्वार्थ पूर्ति के लिये न्याय का गला घोंटना। अगर कानून के रक्षक ही साज़िश करने लगें, तो जनता का भरोसा टूटता नहीं, बल्कि एक दिन उठकर सच्चाई का तूफ़ान बन जाता है। ये नहीं भूलना चाहिए कि कुर्सी और वर्दी समय के मेहमान हैं…कर्म और नीयत ही असली पहचान है!
मरांडी ने कहा कि निशिकांत दुबे आज अपनी गिरफ्तारी देने थाने पहुंचे, लेकिन पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार करने से ही मना कर दिया। उनके ख़िलाफ़ तो मंदिर में पूजा करने पर भी केस दर्ज किया गया। सोचिए, आस्था के अधिकार पर भी राजनीति हो रही है। यह साफ़ दिखाता है कि मामला पूरी तरह राजनीतिक था और केवल उन्हें और सांसद मनोज तिवारी को परेशान करने के लिए ही किया गया। दरअसल, इस राज्य सरकार का यही पैटर्न है… भाजपा नेताओं, कार्यकर्ताओं और यहां तक के परिवार वालों को भी डराने, दबाने और बदनाम करने के लिए लगातार नए केस गढ़ना और पुलिसिया कार्रवाई करना, लेकिन सच को दबाना नामुमकिन है। भाजपा के लोग सराकर प्रायोजित ऐसे दमनात्मक कारवाईयों से डरने वाले नहीं है।
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