2020 के बिहार विधानसभा चुनाव के आंकड़े चिराग के पक्ष में, इसी आधार पर कर रहे मोल-जोल

अकेले लड़कर आठ सीटों पर रहे दूसरे नंबर पर, कुल 41 सीटों पर NDA को हराया

पटना (voice4bihar news) अक्टूबर-नवंबर में होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर वर्तमान में जिस एक पार्टी की सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है वह है चिराग पासवान की लोजपा (रामविलास)। अभी NDA और INDIA में सीट शेयरिंग का मामला नहीं सुलझ पाया है। NDA में जहां चिराग की लोजपा (रामविलास) माेल-जाेल में लगी हुई है वहीं INDIA में कांग्रेस जितनी सीटें चाह रही है, सहयोगी दल उसे उतनी देने के मूड में नहीं हैं।

नीतीश की जिद से NDA से अलग हुए चिराग

चिराग पासवान के माेल-जोल का बड़ा आधार 2020 का बिहार विधानसभा चुनाव और 2024 का लोकसभा चुनाव है। 2020 में नीतीश की जिद के कारण चिराग ने NDA से अलग होकर बिहार विधानसभा की 135 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार दिए। नतीजा रहा कि NDA बहुत मुश्किल से बहुमत हासिल कर सका और तेजस्वी की RJD 75 सीटें जीतकर विधान सभा में सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरी।

JDU के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा भी हार गए

2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में BJP को कुल 74 सीटें मिलीं जो 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव के मुकाबले 21 ज्यादा थीं लेकिन JDU की 2015 के मुकाबले 28 सीटें कम हो गयीं। 2015 में JDU को 71 सीटें मिली थीं जबकि 2025 में कम होकर वह 43 पर सिमट गयी। यहां तक की JDU के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा भी चुनाव हार गए।

तब मुकेश साहनी थे साथ, इस बार हैं अलग

2020 के विधानसभा चुनाव में चिराग की नाराजगी का खामियाजा अकेले नीतीश की पार्टी JDU को ही नहीं उठाना पड़ा बल्कि NDA की सहयोगी जीतन राम मांझी की HAM और मुकेश सहनी की VSIP को भी इसका नुकसान उठाना पड़ा। यहां बता दें कि मुकेश सहनी इस बार INDIA खेमे में हैं। हालांकि वहां वे चुनाव बाद सरकार बनने पर खुद को उप मुख्यमंत्री बनाये जाने का दावा ठोक रहे हैं। अब तक उनके गठबंधन के किसी भी दल ने उनके इस दावे का समर्थन नहीं किया है।

बेगूसराय की मटिहानी सीट जीती लोजपा (रामविलास)

NDA इस बार पिछली गलती को दुहराना नहीं चाहता है। 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में चिराग ने अपनी पार्टी लोजपा (रामविलास) के बंगला चुनाव चिह्न के तहत कुल 135 उम्मीदवार मैदान में उतारे। इन उम्मीवारों को कुल 23 लाख 83 हजार 457 मत मिले जो कुल मतों का महज 5.66 फीसद है। इन मतों के सहारे चिराग की पार्टी भले एकमात्र सीट बेगूसराय के मटिहानी से जीत सकी लेकिन कम से कम आठ सीटों पर उसके उम्मीदवार दूसरे स्थान पर रहे।

जब चुनाव परिणाम आए तो नजारा साफ था कि चिराग पासवान अगर NDA के साथ होते तो नजारा और बेहतर होता। 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में जिन आठ ऐसी सीटों पर चिराग की पार्टी दूसरे स्थान पर रही उनमें पूर्णिया जिले की कसबा, कटिहार जिले की कदवा, सीवान जिले की रघुनाथपुर, भोजपुर जिले की जगदीशपुर, नालंदा जिले की हरनौत, बक्सर जिले की ब्रह्मपुर, रोहतास जिले की दिनारा और औरंगाबाद जिले की ओबरा सीटें शामिल हैं।

दिलचस्प है कि इनमें से कदवा, रघुनाथपुर, जगदीशपुर, दिनारा और ओबरा में JDU की हार का कारण चिराग पासवान बने जबकि चिराग के कारण NDA के जीतनराम मांझी की पार्टी HAM को कसबा और मुकेश सहनी की पार्टी VSIP को ब्रह्मपुर में हार का सामना करना पड़ा।

इनके अलावा 33 सीटों पर हारने वाले NDA उम्मीदवारों और लोजपा (रामविलास) को मिले मतों को जाेड़ दें तो वह INDIA को मिले मतों से अधिक हो जाता है। यानी इन जगहों से भी NDA को चिराग पासवान का साथ मिला होता तो जीत पक्की मानी जा सकती है। इनमें पूर्वी चंपारण की सुगौली, सीतामढ़ी की बाजपट्‌टी, मधुबनी, लौकहा, मधेपुरा की सिंहेश्वर, सहरसा की सिमरी बख्तियारपुर, दरभंगा रूरल, मुजफ्फरपुर की गायघाट, मीनापुर, कांटी, सीवान की बरहरिया, सारण की एकमा, बेनियापुर, वैशाली की महुआ, महनार, राजापाकड़, समस्तीपुर, मोरवा, बेगुसराय की साहेबपुर कमाल, खगड़िया, अलौली, मुंगेर की जमालपुर, भागलपुर की नाथनगर, बांका की ढोरैया, लखीसराय की सूरजगढ़ा, शेखपुरा, नालंदा की इस्लामपुर, गयाजी की शेरघाटी, अटारी, रोहतास की चेनारी, करगाहर, महाराजगंज और जमूई जिले की चकाई की सीटें शामिल हैं।

2020 के बिहार विधानसभा चुनाव के आधार पर कुल मिलाकर देखें तो  243 में से कम से कम 41 सीटें ऐसीं रहीं जहां NDA की हार का कारण चिराग पासवान की पार्टी रही। इस बात से चिराग पासवान भी भली भांति वाकिफ हैं और यही कारण है कि वे जहां पूरे मनोयोग से माेलजाेल कर रहें हैं वहीं NDA भी उनकी बातों को सुनने को मजबूर है। अब देखना है कि अंतिम तौर पर सीटों का बंटवारा किस फॉर्मूले के तहत होता है और चिराग पासवान की पार्टी लोजपा (रामविलास) को कितनी सीटें मिलतीं हैं।

2020 के बिहार विधानसभा चुनाव के आंकड़े चिराग के पक्ष मेंइसी आधार पर कर रहे मोल-जोल