ग्रामीणों ने आपदा प्रबंधन प्रभारी को खतरे से कराया अवगत, गांव बचाने की गुहार
छपरा (Voice4bihar News)। भोजपुर जिले में गंगा नदी के कटाव की भेंट चढ़ चुके जवइनिया गांव की तरह ही सारण जिले का एक गांव गंडक नदी के कटाव के मुहाने पर खड़ा है। सारण के मकेर प्रखंड अंतर्गत गंडक नदी की तेज धारा हैजलपुर गांव को अपने आगोश में लेने को बेचैन है वही सरकारी महक़मा उसे रोकथाम के दावे कर रहे हैं।
गंडक नदी इस गांव में पहले भी दर्जनों घरों को अपने तेज धार से सम्माहित कर लिया है आज वे लोग टेंट में रह रहे हैं। भयंकर कटाव की सूचना पर आपदा प्रबंधन प्रभारी मुकेश कुमार हालात का निरीक्षण करने पहुंचे तो ग्रामीणों एवं मुखिया ने उन्हें खतरे से अवगत कराया। साथ ही अपने घरों को बचाने का आग्रह किया।
कोशी नदी अब तक शांत लेकिन गंगा व गंडक का कटाव चरम पर
उत्तर भारत में भारी बारिश के बीच तमाम नदियों में उफान देखा जा रहा है। राहत है कि बिहार का शोक कही जाने वाली कोशी नदी में इस वर्ष अबतक ऊफान नहीं दिखा, लेकिन गंगा व गंडक नदी में कटाव की विभीषिका देखी जा रही है। नदी की तेजी से हो रहे कटाव को विभाग के कार्यपालक अभियंता, सहायक अभियंता, जूनियर इंजीनियर स्थल पर मौजूद होकर भरसक रोकने का प्रयास कर रहे हैं जो नाकाफी साबित हो रही हैं, अभी तक करोड़ो रूपये की खर्च हो गयी है लेकिन गंडक नदी की तेज धारा के आगे सभी विवश एवम लाचार है।
गंडक के उत्तरी सिरे में शिल्ट भर जाने के कारण दूसरी छोर पर कटाव तेज
मालूम हो कि गंडक नदी के उत्तरी सिरे में गाद व शिल्ट भर जाने से दक्षणी शिरा पर दबाव होने के कारण नदी की तेज धारा कटाव कर रही हैं। एक बातचीत में कार्यपालक अभियंता सारण प्रमंडल ने बताया कि नदी की प्रकृति एवं उसके धारा को मोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। इसके तहत हाथी पांव की तरह रस्सी के सहारे बोरी में बालू एवम मिट्टी डालकर रोकने का प्रयास किया जा रहा है। सैकड़ों मजदूरों के साथ वरीय अधिकारियों की मौजूदगी में कार्य किया जा रहा है ताकि सैकड़ों घरों को नदी में विलीन होने से बचाया जा सके।
क्या हुआ है भोजपुर के जवइनिया गांव में?
पिछले दिनों गंगा नदी में ऊफान के बीच भोजपुर जिला अंतर्गत शाहपुर प्रखंड के जवइनिया गांव में भारी तबाही मची। इस गांव के कई दर्जन कच्चे-पक्के मकान गंगा नदी की धारा में समाहित हो गए। कटाव इतना तेज था कि चंद सेकेंड में ही बड़े बड़े मकान जमींदोज होते चले गए। करीब 10 दिनों के कटाव में ही पूरे गांव का अस्तित्व लगभग समाप्त हो चुका है। आज उस गांव में विरानगी छाई है और यहां के वाशिंदे बांध पर पॉलिथीन शीट से बनी झोपड़ी में गुजारा कर रहे हैं। कल तक जिन दरवाजों पर हंसी-ठहाके गूंजते थे, जिन मंदिरों से अहले सुबह शंख और घंटे की आवाज सुनाई देती थीं, उन दलान और मंदिरों के आकार गांव के साथ इतिहास के पन्नों में सिमट गए।
इस घटना ने शासन-प्रशासन एवं जनप्रतिनिधियों के ‘दायित्व बोध‘ को ठिगना साबित कर दिया है। जिम्मेवारी लेने की बजाय सभी केवल अपना दामन बचाने में लगे रहे। पिछले ही वर्ष जवइनिया के दर्जनों घरों को गंगा बहा ले गई थी। ग्रामीणों ने शासन-प्रशासन सहित जनप्रतिनिधियों तक से गुहार लगाई। जिस गांव के दर्जनों मकान पिछले वर्ष गंगा लील चुकी हो वहां की सुरक्षा को लेकर संजीदगी के भाव नहीं दिखे। पिछले वर्ष के अनुभव को देखते हुए आपदा प्रबंधन विभाग ने बाढ़ पूर्व तैयारी के नाम पर 6.59 करोड़ रूपए से कटाव निरोधी कार्य की औपचारिकता जरूर निभाई। इसके बाद भी कटाव की जद से गांव को बचाया नहीं जा सका।