भारत सरकार से मिले एंबुलेंस अस्पतालों से हुए गायब, मरीजों की कट रही जेब
मैत्री सहयोग के तौर पर नेपाल को दिये गए हैं एंबुलेंस
अधिकतर पीएचसी में नहीं हैं एम्बुलेंस, निजी एंबुलेंस वसूल रहे मनमाना किराया
अररिया (voice4bihar news)। भारत की ओर से नेपाल को मैत्री सहयोग के तहत दिये गए कई एंबुलेंस के गायब होने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। भारत सरकार ने अपने पड़ोसी व मित्र देश नेपाल में स्वास्थ्य सेवाओं की बेहतरी के लिए समय-समय पर कई एंबुलेंस सौंपे थे, जिन्हें वहां के अस्पतालों में तैनात किया गया था। इस बीच कई प्राथमिक स्वस्थ्य केंद्रों से एंबुलेंस गायब होने की खबर ने सियासी पारा हाई कर दिया है।
दरअसल कोरोना महामारी के बीच मरीजों के लिए कम पड़ रहे एंबुलेंस ने इस विवाद को अहम बना दिया है। सरकारी एंबुलेंस नहीं रहने के कारण आर्थिक रूप से कमजोर लोगों से जब निजी एम्बुलेंस वाले मनमाना किराया वसूलने लगे तो पूरा मामला सामने आया। नेपाल के रानी उप स्वास्थ्य केंद्र को भारत की तरफ से उपहार स्वरूप दिए गए एम्बुलेंस वर्षो से अस्पताल से गायब हैं। इसकी शिकायत जब रानी के एक समाजसेवी ने भारत नेपाल सामाजिक संस्कृति मंच के अध्यक्ष राजेश कुमार शर्मा से की तो इस मामले का खुलासा हुआ।
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कहीं एंबुलेंस में खराबी तो कहीं गैराज में पड़ा
इस मसले की वृहद पड़ताल के दौरान चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। विराटनगर के एक ट्रस्ट द्वारा संचालित अस्पताल को छोड़ कई जगह मैत्री सहयोग से मिले एम्बुलेंस को या तो खराब बताया गया या फिर अन्य खराबी बता गेरेज में होने की बात कही गयी। भारत सरकार की ओर से सहयोग अनुरूप उपलब्ध कराए गए ऐसे एम्बुलेंस को नेपाल सरकार सभी टैक्स से मुक्त रखती है। साथ ही भारत में जाकर भी मरीज को लाने की परमिट जारी की जाती है।
भारत नेपाल सामाजिक संस्कृति मंच ने लिया संज्ञान
मैत्री सहयोग वाले एंबुलेंस का किराया निजी एंबुलेंस की तुलना में काफी कम होता है। इस वजह से आर्थिक रूप से कमजोर लोग इसे उपयोग में लाते हैं। ऐसे में सरकारी एंबुलेंस के गायब होने के पीछे बड़ी लापरवाही सामने आई है। इस संबंध में भारत नेपाल सामाजिक संस्कृति मंच के अध्यक्ष ने कहा कि मोरंग जिला अधिकारी से मैत्री सहयोग से मिले एम्बुलेंस की सेवा बहाल करने के लिए आग्रह करेंगे, ताकि इसका लाभ आर्थिक रूप से कमजोर मरीजों को मिल सके।