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ट्रेंकुलाइजर गन से जख्मी आदमखोर बाधिन की पटना में मौत

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  • वाल्मीकि व्याघ्र परियोजना क्षेत्र में पकड़े जाने के बाद लाई गयी थी पटना के चिड़ियाघर
  • तीन लोगों को शिकार बना चुकी बाघिन को कड़ी मशक्कत के बाद पकड़ा गया था
  • VTR के मंगुराहा रेंज में विगत दस दिनों से आंतक का पर्याय बनी थी आदमखोर बाघिन

बेतिया (voice4bihar news) । वाल्मीकि व्याघ्र परियोजना के मंगुराहा रेंज में विगत दस दिनों से आंतक का पर्याय बनी आदमखोर बाघिन टी 3 को गुरुवार को वनकर्मियों ने पकड़ तो लिया, लेकिन उसे इलाज के लिए पटना भेजे जाने के बाद शुक्रवार को उसकी मौत हो गयी । इसकी पुष्टि वीटीआर के वन संरक्षक सह क्षेत्र निदेशक हेमकांत राय ने भी की। गुरूवार को उक्त बाधिन को पटना से आयी टीम ने बेहोश कर पकड़ लिया था । लेकिन पकड़े जाने के बाद वह काफी जख्मी हालत में पायी गयी थी ।

बताया जाता है कि पकड़ी गयी आदमखोर बाघिन की स्थिति एकदम क्रीटिकल थी । उसकी गर्दन से ऊपर सिर के हिस्से में बड़ा घाव हो गया था, जहां कीड़े भी पड़ चुके थे । जबकि उसकी पूंछ में भी घाव हो गया था । VTR के वन संरक्षक सह क्षेत्र निदेशक हेमकांत राय ने आशंका जतायी कि घाव की पीड़ा से बेचैन एवं भूख मिटाने की तृष्णा में ही बाधिन ने रिहायशी गांवों की ओर रुख कर लिया था । उक्त बाधिन की उम्र करीबन 14-15 साल आंकी गयी थी । जिससे उसकी प्रजनन क्षमता भी समाप्त हो चुकी थी ।

ट्रेंकुलाइजर गन लेकर आदमखोर बाघिन का पीछा करती रेस्क्यू टीम

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क्षेत्र निदेशक ने बताया कि जख्मी मिली बाधिन को स्थानीय स्तर पर पर्याप्त उपचार करने के बाद वरीय अधिकारियों के निर्देश पर बेहतर चिकित्सा एवं देखरेख के लिए उसे पटना के चीड़ियाघर भेज दिया गया था । लेकिन आज सूचना मिली कि उपचार के बाद भी उक्त बाधिन को नहीं बचाया जा सका। संभवतः पटना में ही पोस्टमार्टम के बाद उसका अंतीम संस्कार कर दिया गया । बाघिन काफी कमजोर भी हो गयी थी । करीब एक सप्ताह से उसे पर्याप्त भोजन भी प्राप्त नहीं हो पाया था ।

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जानकारों की मानें तो जख्मी हालत में मिली बाधिन की जान बचायी जा सकती थी । स्थानीय स्तर पर इलाज की समुचित व्यवस्था नहीं होने के कारण पटना ले जाना पड़ा, जिसमें काफी वक्त निकल गया। बताते हैं कि 901 वर्ग किलोमीटर में फैले वीटीआर में फिलहाल बाघ एवं शावक मिलाकर 40 से अधिक है ।

इसके अलावे जंगल में अन्य जंगली जानवर यथा हिरण , भालू , तेंदुआ आदि की भी संख्या भी कम नही है । लेकिन यहां किसी भी जानवर के जख्मी या अन्य स्थितियों में पाये जाने पर उनके इलाज के लिए मात्र दो चिकित्सकों की ही तैनाती की गयी है । वे केवल पकड़े गये जानवरों का प्राथमिक उपचार ही कर पाने में सक्षम है । हालाकि क्षेत्र निदेशक एच के राय ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि बाघिन की सामान्य मौत ही हुयी है । क्योंकि उसने अपने जीवन की उम्र तय कर ली थी । उन्होंने वीटीआर में भी एक बचाव सेंटर की आवश्यकता पर बल दिया।

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