90 रुपये के “स्टासेफ” इंजेक्शन को “रेमडेसिविर” में बदलने वाला गिरोह बेनकाब
नेपाल से भारत तक फैला है नकली रेमडेसिविर बनाने का धंधा
पहले रेमडेसिविर की तस्करी में धराया, जमानत मिली तो खुद बनाने लगा नकली रेमडेसिविर
एंटीबायोटिक इंजेक्शन को कोरोना मरीजों तक पहुंचा रहा था गिरोह
अररिया से राजेश कुमार शर्मा की रिपोर्ट
voice4bihar news कोरोना काल में एक तरफ जीवन को बचाने की जद्दोजहद हो रही है तो दूसरी तरफ आपदा को अवसर बनाने में लगे गिरोह का काला कारोबार सामने आया है। कोरोना से संक्रमित के इलाज में कारगर इंजेक्शन ‘रेमडेसिविर’ की मांग बढ़ने के साथ ही सीमावर्ती इलाके में नकली ‘रेमडिसिविर’ बना कर बिक्री करने वाले गिरोह सक्रिय हो गए। नेपाली 90 रुपये कीमत वाले एंटीबायोटिक इंजेक्शन ‘स्टासेफ’ में नया लेबल लगा कर 7 से 25 हजार रुपये में नकली रेमडेसिविर बना कर बेचने का धंधा सामने आने पर लोगों के होश उड़ गये।
दवा दुकानदार की गिरफ्तारी के बाद नकली रेमडेसिविर बनाने वालों का खुलासा
नेपाल में जिला पुलिस कार्यालय विराटनगर की विशेष शाखा को सूचना मिली थी कि दवा दुकानदार नकली दवा का कारोबार कर रहा है। सूचना के आधार पर नोबेल टीचिंग हॉस्पिटल के बाहर दवा दुकान के संचालक सोनू आलम व सहयोगी श्रवण यादव की गिरफ्तारी की गई। इन लोगों के पास से स्टॉक में रखे गए नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन भी बरामद किये गए हैं। मोरंग जिले के एसपी संतोष खड़का ने बताया कि विराटनगर में नकली रेमडेसिविर बिक्री की सूचना मिलने पर कुछ दवा दुकानों में छापेमारी की गयी। इस दौरान कई लोगों को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया।
विज्ञापन
“स्टासेफ” व “रेमडिसिविर” के वायल का एक ही साइज
एंटीबायोटिक दवा स्टासेफ व कोरोना के इलाज में कारगर रेमडेसिविर इंजेक्शन के डब्बे का एक ही साइज होने का फायदा नकली दवा के कारोबारी उठा रहे थे। इन लोगों के सम्पर्क में आने वाले मरीजों को सात से 35 हजार रुपये लेकर रेमडेसिविर के लेबल लगा स्टासेफ इंजेक्शन थमा दिया जाता था। एसपी खड़का ने बताया कि गिरफ्तार फार्मेसी संचालक सोनू आलम यह नकली रेमडेसिविर कहां से लाता था, इसकी जानकारी पुलिस अनुसंधान के बाद ही मिल पाएगी। वही पुलिस सूत्रों की मानें तो भारी मात्रा में स्टासेफ इंजेक्शन विराटनगर की होलसेल दवा दुकान गणेश ड्रग्स हाउस से खरीद कर ले गए थे।
सोनू आलम व श्रवण यादव इससे पहले भी करते रहे हैं दवा तस्करी
पकड़े गए नकली दवा कारोबारियों का नाम पहले भी दवा तस्करी में आया था। इससे पूर्व टिकुलिया से सटे नेपाल के दरहिया से श्रवण यादव को भारत से रेमडेसिविर इंजेक्शन की तस्करी में दवा के साथ पुलिस ने गिरफ्तार किया था लेकिन राजनीतिक दबाव के बाद जमानत पर रिहा हुआ था।
यह भी पढ़ें : नकली रेमडेसिविर बनाने के लिए पटना में बनता था स्टीकर
जोगबनी के रास्ते पूर्णिया तक फैला है जाल
विश्वस्त सूत्रों की मानें तो इन नकली दवा तस्कर के कुछ माफिया अररिया जिले के बथनाहा में भी बैठे हैं। जिसके माध्यम से सम्पर्क स्थापित कर नकली रेमडेसिविर को अस्पताल में भर्ती मरीजों तक सप्लाई करते हैं। इसके लिए जोगबनी के बथनाहा के झोला छाप डॉक्टर के साथ ही सीमांचल में दर्जनों नकली दवा के सौदागर बैठे हैं। सूत्रों पर यकीन करें तो इनके द्वारा इस्लामपुर में बनाये गए अवैध रास्ते व टिकुलिया के रास्ते दवा की तस्करी पुलिस को चकमा देकर की जाती है।