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जो जीवन में शांति चाहता है, वह कामना का त्याग  करे : जीयर स्वामी

कामना रहित हो कर यदि कर्म करते हैं तो उसमें बहुत आनंद

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Voice4bihar news. परम संत जीयर स्वामी जी महाराज ने कहा कि कर्म करते हुए फल की कामना नहीं करनी चाहिए। कर्म तो करना चाहिए लेकिन फल रहित होकर करना चाहिए। इसमें आत्म शांति मिलेगा। यदि नहीं भी फल की कामना करेंगे और अच्छे कर्म करेंगे तो फल हमें ही प्राप्त होगा। कामना रहित हो कर यदि कर्म करते हैं तो उसमें बहुत आनंद आता है। उसमें टेंशन, अटेंशन की संभावना नहीं रहती है।

जीयर स्वामी ने कहा कि इसके विपरीत यदि कामना लेकर कोई काम करते हैं तो थोड़ा टेंशन, डिप्रेशन, शोक और कहीं भटकाव की संभावना बनी रहती है। इसीलिए जो जीवन में शांति चाहता है वह कामना का त्याग करे। इससे हर पल, हर क्षण हमें शांति ही शांति है। आशा और कामना हमें उस फांसी पर लटका देती है, उस सूली पर लटका देती है जब तक प्राण, जब तक स्वास रहता है तब तक हम कुछ कर हीं नहीं पाते। हमेशा संशय में रहते हैं। मनोरथ कभी समापन नहीं होती है।

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हम जगत् की व्यवस्था में लगें, परंतु अपनी मृत्यु और काल को याद करना चाहिए : स्वामी जी

जीयर स्वामी ने बताया कि शास्त्रकार कहते हैं कि हम चाहें कुछ भी जगत् की व्यवस्था में लगें परंतु अपने मृत्यु और काल को याद करना चाहिए। जो व्यक्ति मृत्यु और काल को हमेशा याद करता है वह व्यक्ति इस संसार में रहकर भी संसार के अवस्थाओं से, संसार की दशाओं से, संसार की व्यवस्थाओं में लिप्त नही होता।

जब हम काल और मृत्यु को भूल जाते हैं तब हम इस संसार में रह करके अपने को अंहकार में हो करके अपने को स्वयं अनीति, अन्याय, कुकर्म, उपद्रव की हम जननी बन जाते हैं, अधिकारी बन जातें हैं। इसलिए मनुष्य को यह बार बार यह जानना चाहिए की मृत्यु हमारी चोटी को पकड़ा हुआ है। कब इसके गाल में चले जाएंगे इसका कोई ठीक नहीं है।

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