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बैंक तक आसान नहीं है दिव्यांगों की पहुंच

दिव्यांगों की सुविधा के लिए नहीं बनाये गये हैं रैंप

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राजगीर (voice4bihar desk)। बैंक तक आसान नहीं है दिव्यांगों की पहुंच। शहर से लेकर सुदूर देहात तक में खुली बैंक की अधिसंख्य शाखाओं में दिव्यांगों की सुविधा के लिए रैंप नहीं बनाये गये हैं। ऐसे में जिन बैंकों की शाखा ग्राउंड फ्लोर पर हैं वहां तो दिव्यांग किसी तरह पहुंच जाते हैं पर जिन बैंकों की शाखा प्रथम या दूसरे तल पर हैं और लिफ्ट नहीं है तो वहां पहुंचना दिव्यांगों के लिए मुश्किल होता है।

ऐसे में दिव्यांगों को बैंक के सामने पहुंचकर हर आने-जाने वाले से मिन्नत करनी होती है। उनमें से कोई बैंक प्रबंधन तक उनकी बात पहुंचा देता है और प्रबंधन का मूड ठीक रहा तो वह दिव्यांग के पास पहुंच कर बैकिंग सुविधा उपलब्ध करा देता है।

पर, हर बार कुछ घंटे या एक दिन में ही काम हो जाये ऐसा मुमकिन नहीं है। कई बार तो दिव्यांग सुबह से लेकर शाम तक बैंक की चौखट पर मसीहा के इंतजार में बिता देते हैं और शाम में थक हारकर लौट जाते हैं। अगले दिन फिर इसी उम्मीद में बैंक की चौखट तक पहुंचते हैं कि कोई मसीहा उनकी बात प्रबंधन तक पहुंचा देगा और उनका काम हो जायेगा। कई बार दिव्यांगों को बैंक के छोटे-मोटे काम के लिए भी तीन से चार दिन तक आना पड़ता है।

ऐसा ही वाकया बुधवार को यहां के सिलाव बाइपास पर स्थित इंडियन बैंक की शाखा में देखने को मिला। दोनों पैरों से विकलांग दंपति के लिए बैंक के खाते में जमा अपने रुपये की निकासी करना असंभव सा लगने वाला काम हो गया। विकलांग दंपति रुपये निकासी के लिए बुधवार को लगातार तीसरे दिन बैंक की चौखट तक पहुंचे हैं पर बैंक के अधिकारी कहते हैं कि उन्हें इसकी जानकारी नहीं है।

मितमा गांव के विजय मांझी एवं उनकी पत्नी मन्ती देवी दोनों पैर से विकलांग हैं। वे तीन दिनों से पैसा निकालने आते हैं, मगर पहले तल पर स्थित बैंक तक नहीं पहुंच पाने के कारण बिना पैसे निकाले लौट जाते हैं। वे बुधवार को पैसा निकालने पहुंचे थे।

यहां इंडियन बैंक की शाखा पहली मंजिल पर होने के कारण विकलांग दंपति ऊपर नहीं आ पा रहे थे। उन्होंने किसी अन्य व्यक्ति के सहारे बैक प्रबंधन तक संदेश भिजवाया और नीचे इंतजार करने लगे। मगर आज बैंक प्रबंधन का मूड खराब था सो साफ कहवा दिया कि जब तक दोनों ऊपर बैंक में नहीं आएंगे पैसा नहीं निकलेगा। पति-पत्नी दोनों भूखे-प्यासे कड़ी धूप में बैंक के गेट पर बैठे रहे पर प्रबंधन को उन पर तनिक भी दया नहीं आयी।

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मीडियाकर्मी की पहल पर दिव्यांग दंपति के रुपये की हुई निकासी

संयोग से बैंक आये मीडियाकर्मी की उन पर नजर पड़ी। उन्होंने दंपति से पूछा तो उन्होंने कहा कि जब से ये मैनेजर आये हैं तब से वे ऊपर बैंक में बुलाते हैं। हम दोनों पति-पत्नी पैर से विकलांग हैं और चल नहीं सकते हैं। एक बार ऊपर बैंक में जाने की कोशिश की थी मगर सीढ़ी पर गिर गए थे। तब से ऊपर नहीं जाते हैं, डर लगता है।

बता दें कि दंपति विकलांग पेंशन का पैसा निकालने बैंक पहुंचे थे। उनकी कमाई का दूसरा कोई जरिया नहीं है। इसी विकलांग पेंशन के पैसे से वे किसी तरह अपना गुजारा करते हैं। इसके पहले वे सोमवार और मंगलवार को भी वे आये थे। यहां आने पर पता चलता था कि बैंक में हड़ताल है। आज बुधवार को भी आये हैं तो बैंक तो खुला है पर साहब ऊपर आने को कह रहे हैं। हम दोनों पति-पत्नी दोनों पैरों से विकलांग हैं। हम ऊपर नहीं जा सकते हैं। हम सुबह से यहां बैठे हैं।

मीडियाकर्मी ने जब बैंक मैनेजर से इस बारे में बात की तो उन्होंने दिव्यांगों की रुपये निकासी मे मदद कर उन्हें पैसे दिला दिये। पैसे मिलने के बाद विकलांग दंपति ने राहत की सांस ली और कहा कि अगर आज पैसे नहीं निकलते तो हम दोनों भूख से मर जाते।

इस संबंध में इंडियन बैंक के मैनेजर अजय कुमार सिन्हा से पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि मुझे जानकारी मिली थी कि नीचे विकलांग बैठा हुआ है। कैशियर को मैंने उसे पेमेंट करने के लिए कहा था पर उन्होंने अनदेखी की जिसके चलते दिव्यांग दंपति को समस्या हुई।

बता दें कि केवल सिलाव बाजार की बात करें तो यहां सरकारी बैंक एवं ग्राहक सेवा केंद्र मिलाकर कुल 15 बैंक हैं। कुछ को छोड़कर सभी बैंक पहले तल पर हैं। इसके कारण विकलांग और बुजुर्गों को बैंक आने में काफी परेशानी होती है।

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