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पारस चाचा की ताजपोशी करने नहीं पहुंचे भतीजा प्रिंस राज

पशुपति पारस बने लोजपा बगावती गुट के अध्यक्ष, संसदीय दल के नेता पहले से हैं

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पटना (voice4bihar desk)। लोजपा के बागी गुट ने बृहस्पतिवार को अपना अध्यक्ष हाजीपुर के सांसद पशुपति कुमार पारस को चुन लिया। पारस फिलहाल बागी गुट के संसदीय दल के नेता भी हैं। हालांकि आज के लोजपा के बागी गुट की बैठक की खास बात रही कि इस बैठक से समस्तीपुर के सांसद प्रिंस राज नदारद रहे। यानी पारस चाचा की ताजपोशी में भतीजा प्रिंस राज नहीं पहुंचे। इसको लेकर बागी गुट की ओर से कोई स्पष्ट जवाब नहीं आया है पर जानकार इसे बगावत कांड का नया मोड़ बता रहे हैं।

तीन दिन पहले लोजपा बागी गुट के कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने गये पूर्व सांसद सूरजभान सिंह को चुनाव कराकर पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुनने की जिम्मेदारी सौंपी गयी थी। इस चुनाव के लिए कल पारस हवाई मार्ग से सूरजभान और चंदन सिंह के साथ पटना आये थे। बृहस्पतिवार को कंकड़बाग स्थित सूरजभान सिंह के आवास पर लोजपा बागी गुट की बैठक हुई। इसमें पारस निर्विरोध राष्ट्रीय अध्यक्ष चुन लिये गये। बैठक में पार्टी से बगावत करने वाले सांसदों में से पारस और चंदन सिंह के अलावा महबूब अली कैसर और वीणा सिंह भी मौजूद रहीं।

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ऐन वक्त पर बागी गुट के सांसद प्रिंस राज के इस चुनाव से दूरी बना लेने से राजनीतिक हलकों में तरह-तरह की चर्चा होने लगी है। कुछ लोग इसे मन परिवर्तन भी बता रहे हैं। यहां बता दें कि 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में समस्तीपुर से रामविलास पासवान के भाई रामचंद्र पासवान लोजपा की टिकट पर चुनाव जीते थे। चुनाव के कुछ ही महीने बाद रामचंद्र पासवान की मौत हो गयी। रामचंद्र पासवान की मौत से खाली हुई सीट पर चिराग पासवान ने प्रिंस राज को चुनाव में उतारा। प्रिंस राज स्व. रामचंद्र पासवान के पुत्र हैं। इससे भी आगे बढ़कर चिराग ने प्रिंस राज को पार्टी का बिहार प्रदेश का अध्यक्ष बनाया।

चिराग पासवान ने इस साल होली के दिन अपने पारस चाचा को लिखे खत में उन हालातों का विस्तार से जिक्र किया है जिसमें बताया गया है कि प्रिंस को प्रदेश अध्यक्ष बनाये जाने से पशुपति कुमार पारस में कितनी नाराजगी थी। इस नाराजगी की वजह से पारस ने रामविलास पासवान के घर आना-जाना भी कम कर दिया था।

सूत्र बताते हैं कि पशुपति पारस बागी गुट को रामविलास पासवान की तर्ज पर चलाना चाहते हैं। पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष, संसदीय दल का नेता समेत सभी शक्तियां वे अपने पास रखना चाहते हैं। आगे चलकर कंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल होने की बात होगी तब भी पारस खुद को ही आगे करेंगे। बगावत में जिन लोगों ने भी पारस का साथ दिया है उन सभी की चाहत पावर हासिल करने की है। जब यह पावर चिराग से निकलकर पारस के हाथों में सिमट जायेगी तो फिर उस हालात में बागवती गुट कितना साथ रह पायेगा, यह आने वाला समय बतायेगा। फिलहाल प्रिंस राज का बैठक में नहीं आना बगावती गुट के अंदर बगावत ही माना जायेगा।

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