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नेपाल में छह अरब के यूरेनियम का डेढ़ अरब में हुआ सौदा

नेपाल पुलिस ने ढाई किलो यूरोनियम के साथ चार को दबोचा

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जोगबनी (voice4bihar desk)। नेपाल पुलिस ने ढाई किलो यूरेनियम के साथ चार लोगों को दबोचा है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में इस यूरेनियम की कीमत करीब छह अरब रुपये है। तस्करों ने महज डेढ़ अरब रुपये में इसका सौदा तय किया था। लेकिन, इसके पहले कि सौदा पूरा होता नेपाल पुलिस को इसकी भनक लग गयी और पुलिस ने यूरेनियम को जब्त कर लिया। साथ ही पुलिस ने इसकी सौदेबाजी में संलिप्त चार लोगों को दबोच लिया।

नेपाल में यूरेनियम बरामदगी का संभवत: यह पहला मामला है।  काठमांडू  महानगरपालिका के वार्ड संख्या 6 के बौद्ध से महानगरीय पुलिस कार्यालय की टीम ने गुरुवार को इसे जब्त किया था । महानगरीय प्रहरी कार्यालय के एआईजी हरि बहादुर पाल के अनुसार डीएसपी नवराज भट्टराई के नेतृत्व में बरामद इस यूरेनियम की कहानी 25 साल पुरानी है।

रामेछाप जिले के लिखु तामाकोशी गावपालिका के वार्ड संख्या 5 निवासी भएकी जानुका तमांग के ससुर अमर लामा भारत के खान में काम करते थे । ससुर ने ही 25  वर्ष पूर्व भारत से लाकर उक्त यूरेनियम बौद्ध स्थित घर में रखा था, ऐसा बयान जनुका ने नेपाल पुलिस को दिया है । जनुका के ससुर अमर लामा की उम्र फिलहाल 80 वर्ष बतायी जाती है। वे अभी अमेरिका में अपनी पुत्री के साथ रह रहे हैं ।

वे लकवा (पैरालाइसिस) के शिकार हैं इसलिए महानगरीय पुलिस ने उनसे अब तक इस संबंध में पूछताछ नहीं कर सकी है। जानकारों का कहना है कि भारत की खान में काम कर चुके और फिलहाल अमेरिका में रह रहे अमर लामा से जब तक पुलिस पूछताछ नहीं करती है यह पता नहीं चल पायेगा कि नेपाल के गांव में आखिर इतनी बेशकीमती यूरेनियम पहुंची कैसी। अमर लामा पिछले छह साल से अमेरिका में रह रहे  हैं।

अमर की पुत्रवधू के कारण यूरोनियम स्टोर किये जाने का हुआ खुलासा

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जानकारी के अनुसार जानुका का विवाह तकरीबन 20  वर्ष पूर्व हुआ था। अमर के घर में बहू बन कर आने के बाद उसने घर के कोने में छुपा कर रखी गयी परमाणु ऊर्जा में इस्तेमाल होने वाली यूरेनियम को पहली बार देखा था। वर्षों से घर के कोने में रखी यूरेनियम के बारे में उसने सबसे पहले रामेछाप के लिखु तामाकोशी गावपालिका के  नारायणसिंह तमांग को इसकी जानकारी दी। फार्मेसी के विद्यार्थी रहे 40 वर्षीय नारायण सिंह ने  जब इसे देखा तो वे चौंक गये।

उन्होंने जानुका को  बताया कि इसकी कीमत अरबों में है। इसके बाद दोनों ने मिलकर इसकी बिक्री करने की योजना बनायी। इसके लिए ग्राहक की तलाश शुरू हुई। ग्राहक को खोज में रामेछाप के 20 बर्षीय प्रकाश चौहान व सिन्धुली के सुनकोशी गावपालिका के 20 बर्षीय मनोज न्यौपाने की भी इन्होंने मदद ली। एआईजी हरि बहादुर पाल की मानें तो ग्राहक तलाश करने वाले को दो करोड़ रुपये देने की बात तय हुई थी।

फरवरी के अंतिम हफ्ते में पुलिस को मिल गयी थी यूरेनियम के सौदे की खबर

यूरेनियम की सौदेबाजी की सूचना पर सक्रिय हुई नेपाल पुलिस की नजर में इसे खरीदने वाला ब्यक्ति चढ़ चुका था। उक्त ब्यक्ति के सम्पर्क में आते ही पुलिस ने जानुका से खरीदार को सैंपल दिलाने को कहा। रोनास्ट के वैज्ञानिक ने जब सैंपल की जांच की तो पता चला कि बिना शोधन किया हुआ यह  न्युक्लियर ईनर्जी यूरेनियम–238 है। यूरेनियम के असली होने की पुष्टि होने के बाद डेढ़ अरब में इसकी डील तय हुई। पूर्व से तय स्थान पर इसे लेकर आये चारों लोगों को नेपाल पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। इनमें अमर लामा की पुत्रबधू भी शामिल थी।

भारत से लाये जाने के दावे से जानकार सहमत नहीं

यूरेनियम को ढ़ाई दशक पूर्व कोई भारत से चुरा कर अपने घर मे क्यों रखेगा, इसको लेकर भी लोग सवाल खड़ा कर रहे हैं। वहीं जिस व्यक्ति को यूरेनियम के बारे में जानकारी ही न हो उसे कैसे पता कि इसकी डिमांड नेपाल में भी है ? जानकारों की मानें तो भारत से यूरोनियम चोरी करने वाला व्यक्ति भारत में ही इसे बेचता न कि नेपाल लेकर आता। यूरेनियम को एक जगह से दूसरी जगह ले जाना खतरे से खाली नहीं है। जरा सी चूक होने पर कई गंभीर बीमारी का शिकार होने के साथ ही मौत का भी खतरा रहता है। हालांकि पुलिस अनुसंधान के बाद स्पष्ट होगा कि वास्तविक क्या है ।

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