दो फेज में महज 44 फीसद ही मिले शिक्षक अभ्यर्थी
बिहार में प्राथमिक शिक्षक नियुक्ति प्रकिया अपनी जटिलता के कारण हुई उबाऊ
पटना (voice4bihar desk)। बिहार में चल रही प्राथमिक शिक्षक नियुक्ति प्रकिया अपनी जटिलता के कारण उबाऊ हो चली है। जुलाई और अगस्त में हुई छठे चरण की दो फेज की काउंसिलिंग के नतीजे बताते हैं कि शिक्षा विभाग को अब तक कक्षा I से VIII तक के लिए महज 44 फीसद सीटों के लिए ही अभ्यर्थी मिले हैं। यानी इस दौरान कुल 85920 सीटों के मुकाबले सिर्फ 38014 अभ्यर्थियों की नौकरी पक्की हुई। voice4bihar.com शुरू से कहता रहा है कि अभ्यर्थी काउंसिलिंग सेंटर पर बंधक बने रह जाते हैं और सीटें खाली रह जातीं हैं। अब शिक्षा विभाग के आंकड़े भी इन बातों की पुष्टि करते हैं।
असल में काउंसिलिंग की पूरी प्रक्रिया ही खामियों से भरी है। इसकी वजह से कहीं अभ्यर्थियों का जमावड़ा लगता है तो सीटें नहीं और कहीं सीट है तो अभ्यर्थी पहुंचते ही नहीं हैं। प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षकों के करीब 94000 हजार पदों के लिए बहाली प्रक्रिया चल रही है। इसमें सबसे अधिक भाषा विषयों की सीटें खाली रह जा रहीं हैं। कक्षा I से V तक के लिए उर्दू के महज 14 और बांग्ला के 12 फीसद अभ्यर्थी पहुंचे। वहीं कक्षा VI से VIII तक के लिए उर्दू और संस्कृत के 27-27 फीसद जबकि अंग्रेजी के 18 और हिन्दी के 49 फीसद अभ्यर्थी पहुंचे।
एसएसटी की 80 और गणित शिक्षक की 61 फीसद सीटें भरीं
कक्षा VI से VIII तक के लिए सबसे अधिक 80 फीसद सीटें एसएसटी की भरीं जबकि गणित की 61 फीसद सीटें भरीं। यानी एसएसटी की भी 20 और गणित की 39 फीसद सीटें खाली रह गयीं। यह हाल तब है जब हजारों अभ्यर्थी नौकरी की आस लगाये अब भी शिक्षा विभाग की ओर देख रहे हैं। उम्मीद है कि सितंबर में शिक्षा विभाग तीसरे फेज की काउंसिलिंग करायेगा। तीसरे फेज में उन नियोजन इकाइयों में काउंसिलिंग करायी जायेगी जहां अब तक तकनीकी कारणों से काउंसिलिंग नहीं हुई है अथवा कोटि के अभ्यर्थी के नहीं पहुंचने के कारण सीट खाली रह गयी है।
खाली रह गयी सीटों में अधिकांश आरक्षित कोटि की
यहां बता दें कि अधिकांश खाली सीटें आरक्षित कोटे की हैं। विभाग की नीति के अनुसार काउंसिलिंग केंद्र पर मौजूद अभ्यर्थियों में से सर्वाधिक अंक वाले की नियुक्ति अनारक्षित वर्ग में ही की जाती है। इस वजह से अनारक्षित कोटि की सीटें भर जातीं हैं जबकि आरक्षित कोटि की सीटें खाली रह जातीं हैं। अधिकांश खाली सीटें एससी एसटी और ओबीसी महिला कोटि की हैं। कहीं-कहीं अनारक्षित महिला की सीट भी खाली रह गयी है।
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काउंसिलिंग प्रक्रिया में बदलाव की जरूरत
शिक्षा विभाग अगर शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया को शीघ्र पूर्ण करना चाहता है तो वह जिला स्तर पर एक मात्र काउंसिलिंग सेंटर बनाये जहां अभ्यर्थी बिना किसी बंदिश के तब तक सभी नियोजना इकाइयों में अपना भाग्य आजमा सकें जब तक उनकी काउंसिलिंग नहीं हो जाती है अथवा सीट फुल नहीं हो जाती है। वर्तमान प्रक्रिया में अभ्यर्थी को एक नियोजन इकाई से दूसरे में जाने की अनुमति नहीं दी जाती है। साथ ही कोई ऐसी नियोजन इकाई भी दिन के 11.30 बजे के बाद दूसरे काउंसिलिंग सेंटर से आये किसी अभ्यर्थी के दावे को स्वीकार नहीं करती है जहां की सीटें खाली रह जातीं हैं। यही वजह है कि अभ्यर्थी बेरोजगार रह जा रहे हैं और सीटें खाली।
पहले दो फेज में 85920 सीटों के लिए हुई काउंसिलिंग
शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव संजय कुमार ने बुधवार की देर रात आंकड़े जारी कर बताया कि जुलाई-अगस्त में छठे चरण की दो फेज में 85920 सीटों के लिए काउंसिलिंग की गयी। कक्षा I से V तक के लिए सामान्य विषयों के 47742 सीटों की काउंसिलिंग में 26286 अभ्यर्थियों की नौकरी पक्की हुई जबकि 23528 सीटें खाली रह गयीं। सामान्य विषय के शिक्षकों की करीब 49 फीसद सीटें खाली रहीं। उर्दू की 14836 सीटों के मुकाबले महज 2056 अभ्यर्थियों की नौकरी पक्की हुई जबकि 12780 सीटें खाली रह गयीं। बांग्ला की 136 सीटों में से 16 अभ्यर्थियों की नौकरी पक्की हुई जबकि 120 सीटें खाली रहीं।
कक्षा VI से VIII तक की 23206 सीटों में से 11478 रह गयीं खाली
कक्षा VI से VIII तक के लिए 23206 सीटों में से 11728 सीटें भरीं जबकि 11478 खाली रह गयीं। इनमें हिंदी की 5362 सीटों के मुकाबले 2648 अभ्यर्थियों की काउंसिलिंग हुई जबकि 2714 खाली रह गयीं। उर्दू की 2109 सीटों के मुकाबले 579 अभ्यर्थियों की काउंसिलिंग हुई जबकि 1530 खाली रह गयी। संस्कृत की 3953 सीटों के मुकाबले 1075 अभ्यर्थियों की काउंसिलिंग हुई जबकि 2884 खाली रह गयीं। अंग्रेजी की 3271 सीटों के मुकाबले 1784 अभ्यर्थियों की काउंसिलिंग हुई जबकि 1487 सीटें खाली रह गयीं। गणित की 6419 सीटों के मुकाबले 3976 अभ्यर्थियों की काउंसिलिंग हुई जबकि 2452 खाली रह गयीं। एसएसटी की 2086 सीटों के मुकाबले 1675 अभ्यर्थियों की काउंसिलिंग हुई जबकि 411 सीटें खाली रह गयीं।