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जानकी नवमी 20 मई को, सुहाग रक्षा के लिए सुहागिन करेंगी व्रत

वैशाख शुक्ल नवमी को दोपहर में हुआ था माता जानकी का जन्म

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पटना (voice4bihar desk)। वैशाख शुक्ल नवमी को जनकनंदनी एवं प्रभु श्रीराम की प्राणप्रिया, सर्व मंगल दायिनी माता सीता प्रकट हुई थीं। इस बार यह दिन 20 मई को है। यानी 20 मई को सीता प्राकट्य दिवस जानकी नवमी रवि योग में मनाई जाएगी। जानकी नवमी स्वयं सिद्ध अबूझ मुहूर्त होने से इस दिन शादी-ब्याह सहित मांगलिक कार्यों की धूम रहती है। इस दिन मां सीता का व्रत करने से भगवान विष्णु सहित माता लक्ष्मी के साथ सूर्यदेव की विशेष अनुकंपा मिलती हैI

सुहागिन महिलाएं अपने सौभाग्य रक्षा और पति की दीर्घायु के लिए व्रत रखेंगी। मिथिलांचल क्षेत्र में जानकी नवमी की अधिक धूमधाम होती है। इस दिन माता सीता की जन्म स्थली सीतामढ़ी में सीता-राम के साथ राजा जनक, माता सुनयना, हल और पृथ्वी की पूरे विधि-विधान से पूजा की जाती हैI

जानकी नवमी व्रत व पूजा मुहूर्त

पूजा का शुभ मुहूर्त : प्रातः 06:48 बजे से पूरे दिन

गुली काल मुहूर्त : प्रातः 08:25 बजे से 10:05 बजे तक

अभिजीत मुहूर्त : दोपहर 11:19 बजे से 12:13 बजे तक

नवमी तिथि आरंभ :  20 मई को प्रातः 06:48 बजे से

नवमी तिथि समाप्त : 21 मई को सुबह 05:46 बजे तक

रवियोग के सुयोग में जानकी नवमी

20 मई को वैशाख शुक्ल नवमी को जानकी नवमी व्रत मघा व पूर्वाफाल्गुन नक्षत्र के साथ रवियोग में होने से अत्यंत पुण्यदायी हो गया हैI वृहत विष्णु पुराण के अनुसार वैशाख शुक्ल नवमी को दोपहर के समय माता सीता का जन्म हुआ थाI इस दिन स्वयं सिद्ध अबूझ मुहूर्त होता है, इसीलिए इस दिन उदयातिथि का मान नहीं होता हैI उपवास करने वाले व्रती 21 मई शुक्रवार वैशाख शुक्ल दशमी को प्रातः 05:46 बजे के बाद पारण करेंगींI

पूजन से महाषोडश दान व अखिलतीर्थ भ्रमण का फल 

जानकी नवमी पर भगवान राम सहित मां जानकी का व्रत -उपवास के साथ विधिवत पूजन करने से भूमि दान, महाषोडश दान, सर्वभूत दया एवं अखिलतीर्थ भ्रमण का फल प्राप्त होता है। साथ ही व्रती को सभी दुखों, रोगों व संतापों से मुक्ति मिलती है। इस दिन स्नान आदि के बाद स्वच्छ मन से श्री सीता-रामाय नमः, श्री रामाय नमः या श्री सीतायै नमः का जाप तथा जानकी स्त्रोत्र, रामचंद्राष्टक, रामचरित मानस का पाठ करने से सुख-सौभाग्य, सौंदर्य, आरोग्यता के साथ समस्त कष्टों से मुक्ति मिलती हैI

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जानकी नवमी व्रत का पौराणिक महत्व

वृहत विष्णु पुराण में कहा गया है कि जिस प्रकार राम नवमी को शुभ फलदायी पर्व के रूप में मनाया जाता है उसी प्रकार सीता नवमी भी बहुत शुभ फलदायी है। क्योंकि भगवान श्री राम स्वयं विष्णु तो माता सीता लक्ष्मी का स्वरूप हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जानकी नवमी का व्रत करने से वैवाहिक जीवन की सभी बाधाओं से मुक्ति मिलती हैI जिन लड़कियों की शादी में बाधा आ रही हो, उन्हें विशेषकर इस व्रत को करने से मनचाहे वर की प्राप्ति होगीI इस सौभाग्यशाली दिवस में माता सीता की पूजा-अर्चना प्रभु श्री राम के साथ करने से भगवान श्री हरि और मां लक्ष्मी की विशेष कृपा की प्राप्ति होती है।

माता सीता से ही हनुमान को मिला था अष्टसिद्धि का वरदान

सूर्य, अग्नि एवं चंद्रमा का प्रकाश माता सीता का ही स्वरूप है। चंद्रमा की किरणें विभिन्न औषधियों को रोग निदान का गुण प्रदान करती हैं। ये चंद्र किरणें अमृत दायिनी सीता का प्राणदायी और आरोग्यवर्धक प्रसाद हैं। मां सीताजी ने ही हनुमानजी को उनकी सेवा-भक्ति से प्रसन्न होकर अष्टसिद्धियों तथा नवनिधियों के स्वामी होने का वरदान दिया था।

शाश्वत शक्ति की आधार हैं मां जानकी

गोस्वामी तुलसीदासजी ने माता सीता की वंदना करते हुए उन्हें उत्पत्ति, पालन और संहार करने वाली, क्लेशों को हरने वाली एवं समस्त जगत का कल्याण करने वाली राम वल्लभा कहा है। उपनिषद में शक्ति स्वरूपा ऋग्वेद में असुरसंहारिणी, कल्याणकारी, सीतोपनिषद में आदिशक्ति तथा आध्यात्म रामायण में मुक्तिदायनी, एकमात्र सत्य, योगमाया की स्वरूप की उपाधि दी गयी है। माता सीता क्रिया-शक्ति, इच्छा-शक्ति और ज्ञान-शक्ति, तीनों रूपों में प्रकट होतीं हैं।

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