छपरा में सनकी बंदर ने सौ लोगों को किया जख्मी
दर्जनभर मोहल्लों के लोगों का जीना हुआ दूभर, वन विभाग, नगर निगम और जिला प्रशासन बेखबर
कोरोना के डर के बीच जी रहे लोगों के लिए नया मुसीबत बना बंदर
छपरा (voice4bihar desk)। नगर निगम क्षेत्र में बंदर के आतंक ने लोगों के दिन का चैन व रात की नींद हराम कर दी है। अब तक 100 लोगों को बंदर ने काट खाया है। बंदर का आतंक गुदरी समेत दर्जनभर मोहल्लों में है। केवल दौलतगंज से गुदरी बाजार तक के 22 लोगों को बंदर ने काट कर जख्मी कर दिया है।
बंदर का आतंक इस कदर छा गया है कि घर की छतों व किचेन में कोई बर्तन भी गिरता या बजता है तो लोग लाठी-डंडा लेकर अलर्ट मोड में हो जाते हैं। लोगों का कहना है कि कोरोना के डर से घर में रह रहे हैं और बंदर के डर से घर के बाहर हो गए हैं। अब समस्या है कि जाएं तो जाएं कहां। न तो जिला प्रशासन कुछ कर रहा है और न ही विन विभाग के अधिकारी ही सुन रहे हैं।
अहले सुबह व शाम में बंदर कर रहा हमला
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अभी तक की जो स्थिति सामने आयी है उसमें पागल बंदर शाम में या अहले सुबह ही घर में घुस जा रहा है। घर में रखे सामान को इधर-उधर फेंकता है। यदि कोई विरोध करता है तो सीधे हमला कर दे रहा है। दौलतगंज के रामनरेश तिवारी ने बताया कि उनके ही घर के सदस्य व अधिवक्ता श्यामसुंदर तिवारी को बंदर ने बुरी तरह से घायल कर दिया। दौलतगंज के ही अजय कुमार ने बताया कि उनके पिताजी को सोये हुए अवस्था में बंदर ने काट कर घायल कर दिया।
गुदरी सलापत गंज में अमीर आलम ने कहा कि उनके पोते को भी बंदर ने घायल कर दिया। वह शाम में सोने के लिए छत को पानी से धो रहा था तभी अचानक बंदर ने हमला कर दिया। सईद अहमद ने बताया कि वे घर में मच्छरदारी के अंदर सोये थे। मच्छरदानी हटाकर बंदर घुस गया और काटकर भाग गया। अब तक सौ से अधिक लोगों के बंदर के हमले में घायल होने की सूचना है। इनमें गुदरी, सलापतगंज, मिरचइया टोला, दौलतगंज, बुट्टी मोड़, नबीगंज, गुदरी बाहरी मोड़ आदि इलाके के लोग शामिल हैं।
ग्रामीण क्षेत्र से शहर में बंदरों के आगमन ने पर्यावरणीय असंतुलन को लेकर खड़े किए सवाल
शहर में लाल व काले बंदरों के बड़ी सख्या में आगमन ने ग्रामीण क्षेत्र में बदल रहे परिवेश की ओर इशारा किया है। दरअसल, ग्रामीण क्षेत्र का तेजी से शहरीकरण हो रहा है और दनादन पेड़ काटे जा रहे है। ऐसे में बंदरों का आवास स्थल भी समाप्त होते जा रहा है। ये भागकर शहरों की ओर आ रहे हैं।
पर्यावरणविद् अशोक कुमार सिंह की मानें तो ग्रामीण क्षेत्र का तेजी से हो रहे शहरीकरण से विभिन्न प्रकार के जानवरों का आश्रय छिनता जा रहा है। इतना ही नहीं भूजल स्तर भी गिरते जा रहा है। कई अन्य बदलाव हो रहे हैं। इन सबका दोषी मनुष्य ही है। बंदर के आतंक और वर्तमान परिस्थिति पर वन प्रमंडल के अधिकारी से बात करने का प्रयास किया गया, पर उनका नंबर स्वीच ऑफ मिला।