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चिराग को मिला रामविलास का नाम हेलीकॉप्टर बनेगा पहचान

सिलाई मशीन से संबंधों को रफ्फू करने की चुनाव आयोग ने पारस को दी नसीहत

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पटना (voice4bihar desk)। आपसी कलह में बंगला गंवाने वाले चाचा-भतीजा को हेलीकॉप्टर और सिलाई मशीन से काम चलाना पड़ेगा। चुनाव आयोग ने यह अंतरिम व्यवस्था लोजपा पर कब्जे को लेकर चल रहे विवाद के मद्देनजर दी है। साथ ही आयोग ने पार्टी के नाम में आंशिक संशोधन करते हुए इसका उपयोग करने की अनुमति दी है। आयोग ने चिराग पासवान को लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) और पशुपति कुमार पारस को राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी के नाम से पार्टी चलाने को कहा है। आयोग ने यह अंतरिम व्यवस्था बिहार विधानसभा के उपचुनाव को देखते हुए दी है। इसके पहले विवाद की वजह से आयोग ने पार्टी के नाम और चुनाव चिह्न बंगला को फ्रीज कर दिया है।

अब चिराग उपचुनाव के लिए कर सकते हैं अपने उम्मीदवार का एलान

बिहार में मुंगेर के तारापुर और दरभंगा के कुशेश्वरस्थान विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं। जदयू, कांग्रेस और राजद ने अपने प्रत्याशियों के नामों की घोषणा कर दी है। चिराग पासवान ने भी उपचुनाव में उम्मीदवार उतारने का ऐलान कर रखा है। अब वे अपनी नयी पार्टी लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) की तरफ से हेलीकॉप्टर चुनाव चिह्न पर उम्मीदवार उतार सकते हैं। अब तक की इस कवायद में चिराग के पक्ष में एक ही बात रही कि उनकी पार्टी के नाम के साथ रामविलास का नाम जुड़ गया। चुनाव में निश्चित रूप से उन्हें इसका फायदा होगा। वहीं केंद्रीय मंत्री पारस को सिलाई मशीन देकर आयोग ने उन्हें संबंधों को रफ्फू करने की नसीहत भी दी है।

जून महीने से चाचा-भतीजे के बीच चल रही है जोर आजमाइश

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इसके पहले इसी साल जून में चाचा पशुपति कुमार पारस ने अपने भतीजे से बगावत करते हुए पार्टी पर कब्जे की नयी चाल चली। पार्टी के पांच सांसदों को साथ लेकर उन्होंने चिराग को किनारे करते हुए खुद को पार्टी संसदीय दल का अध्यक्ष और बाद में खुद को राष्ट्रीय अध्यक्ष घोषित कर दिया। लोकसभा अध्यक्ष ने उन्हें आनन-फानन में लोजपा संसदीय दल के अध्यक्ष के रूप में मान्यता दे दी। साथ ही बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की मदद से उन्हें केंद्रीय मंत्रिमंडल में इंट्री भी मिली और रामविलास पासवान की जगह मंत्री बनाये गये।

उपचुनाव में तेजस्वी की भी मदद कर सकते हैं चिराग

पूरे प्रकरण में वे भाजपा और खासकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की तरफ से मदद की आस लगाये रहे पर उन्हें निराशा ही हाथ लगी। इधर, विधानसभा चुनाव में उनके द्वारा किये गये विष वमन का एक-एक कर जदयू बदला लेता रहा। चिराग ने पार्टी में टूट के लिए जदयू को जिम्मेदार ठहराया। साथ ही यह भी कहा कि शेर का बच्चा हूं, झुकुंगा नहीं। बाद में चिराग की ओर तेजस्वी ने मदद का हाथ बढ़ाया पर चिराग अभी वेट एंड वॉच की मुद्रा में हैं। राजनीति के जानकारों का मानना है कि उपचुनाव में वे जदयू को हराने के लिए तारापुर में राजद की मदद कर सकते हैं। राजनीति के इस खेल में भाजपा भी बुरा नहीं मानेगी। क्योंकि भाजपा तब भी बुरा नहीं मान रही थी जब लोजपा ने जदयू को हराने के लिए उसके खिलाफ उम्मीदवार उतारने का एलान किया था।

विधानसभा चुनाव 2020 में जहां लोजपा ने अपनी ओर से उम्मीदवार उतारकर जदयू को कम-से-कम 40 सीटों पर हराया वहीं इस बार उपचुनाव में वे सीधे राजद की मदद कर जदयू को नुकसान पहुंचा सकते हैं। तारापुर और कुशेश्वरस्थान विधानसभा सीटों पर जदयू 7,300 से कम वोटों से जीता है जबकि इन दोनों सीटों पर लोजपा उम्मीदवारों को 10 हजार से अधिक वोट मिले हैं। अपने 10 हजार वोटों को अगर लोजपा राजद में शिफ्ट कराने में सफल हो जाये तो इन सीटों के परिणाम आश्चर्यजनक हो सकते हैं। हालांकि इन चुनावों में राजद को कांग्रेस के वोट नहीं मिलेंगे क्योंकि इस बार कांग्रेस खुद चुनाव लड़ रही है। राजद और कांग्रेस की साझी दुश्मन जदयू है पर अलग-अलग उम्मीदवार होने से वोटों का बंटवारा भी तय है।

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