सरकार का दावा, 20 फीसद तक गिरा खाद्य तेल का भाव
सरसों तेल की कीमत 16 मई को 175 रुपये प्रति किलोग्राम थी, 10 प्रतिशत घटकर अब 157 रुपये हुई
पटना (voice4bihar desk)। केंद्रीय उपभोक्ता कार्य, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने देश भर में खाद्य तेलों की कीमतों में गिरावट का दावा किया है। मंत्रालय के अनुसार खाद्य तेलों की कुछ श्रेणियों की कीमतों में लगभग 20 प्रतिशत तक की गिरावट आयी है।
देश में घरेलू खपत और उत्पादन के बीच का अंतर अधिक
मंत्रालय की ओर से बुधवार को बताया गया कि सरकार इस मुद्दे के स्थायी समाधान के लिए मध्य एवं दीर्घकालिक उपायों की श्रृंखला पर काम कर रही है। मंत्रालय की ओर से कहा गया कि खाद्य तेल की कीमतें कई जटिल कारकों पर निर्भर करती हैं। इनमें वैश्विक बाजार में इनकी कीमतें और घरेलू उत्पादन भी शामिल हैं। देश में घरेलू खपत और उत्पादन के बीच का अंतर अधिक है, इसलिए भारत को खाद्य तेल की अपनी आवश्यकता के बड़े हिस्से का आयात करना पड़ता है।
विभाग की ओर से बताया गया कि भारत में खाद्य तेल की कीमतों में गिरावट का सिलसिला तेल की एक विस्तृत श्रृंखला में दिखाई पड़ रहा है। उपभोक्ता कार्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार पिछले एक महीने से खाद्य तेलों की कीमतों में कमी आ रही है। कुछ मामलों में गिरावट लगभग 20 प्रतिशत तक है। जैसा कि मुंबई में कुछ खाद्य तेलों की कीमतों में दिख रहा है।
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बताया गया है कि पाम ऑयल की कीमत 7 मई, 2021 को 142 रुपये प्रति किलोग्राम थी, जो अब 19 फीसद घटने के साथ 115 रुपये प्रति किलोग्राम पर आ गई है। सनफ्लावर ऑयल की कीमत 5 मई को 188 रुपये प्रति किलोग्राम थी, जो अब 16 प्रतिशत की गिरावट के साथ 157 रुपये प्रति किलोग्राम पर आ चुकी है। सोया तेल की कीमत 20 मई को 162 रुपये प्रति किलोग्राम थी, जो अब मुंबई में 15 फीसद की गिरावट के साथ 138 रुपये प्रति किलोग्राम पर आ गई है।
सरसों के तेल के मामले में, 16 मई को कीमत 175 रुपये प्रति किलोग्राम थी, अब यह लगभग 10 प्रतिशत की गिरावट के साथ 157 रुपये प्रति किलोग्राम पर आ गई है। 14 मई, 2021 को मूंगफली के तेल की कीमत 190 रुपये प्रति किलोग्राम थी, अब यह 8 प्रतिशत की गिरावट के साथ 174 रुपये प्रति किलोग्राम पर आ गई है। 2 मई को वनस्पति की कीमत 154 रुपये प्रति किलोग्राम थी, जो अब 8 प्रतिशत की गिरावट के साथ 141 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच गई है।
मंत्रालय ने कहा कि यह ध्यान देने वाली बात है कि खाद्य तेल की कीमतें कई जटिल कारकों पर निर्भर करती हैं, जिसमें अंतरराष्ट्रीय कीमतें और घरेलू उत्पादन भी शामिल हैं। चूंकि घरेलू खपत तथा उत्पादन के बीच का अंतर अधिक है, इसलिए भारत को बड़ी मात्रा में खाद्य तेल का आयात करना पड़ता है। सरकार इस मुद्दे को स्थायी आधार पर हल करने के लिए मध्य एवं दीर्घकालिक उपायों की एक श्रृंखला पर काम कर रही है।
ये उपाय भारत को खाद्य तेलों में आत्मनिर्भर बनाने में योगदान देंगे, भारत में भोजन पकाने में प्रमुख घटक है। इस तरह से यदि वाकई में खाद्य तेल के दाम गिरेंगे तो आम लोगों को बड़ी राहत मिलेगी। मई और जून में खाद्य तेल की बढ़ी कीमतों ने घर का बजट गड़बड़ा कर रख दिया। इसके चनते लोग लगातार सरकार की आलोचना में लगे रहे।